जैन परम्परा के संतों का हुआ आध्यात्मिक मिलन
जैन श्वेतांबर परंपरा की तीन धाराएं मूर्तिपूजक, स्थानकवासी और तेरापंथी संप्रदाय का त्रिवेणी संगम किलपॉक चेन्नई में हुआ। आचार्य श्री महाश्रमणजी के आज्ञानुवर्ती उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमलकुमारजी ठाणा 3 एवं श्रमण संघ के आचार्य शिव मुनी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री वीरेंद्रकुमारजी का किलपाक जैन उपाश्रय में मिलना हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ महामंत्र नवकार एवं प्रतिदिन होने वाले जप अनुष्ठान से हुआ।
श्रमण संघ के मुनि श्री वीरेंद्रकुमार जी ने उद्बोधन देते हुए फरमाया कि क्षण को जानने वाला पंडित होता है। ज्ञानी पुरुष समय का सदुपयोग करते हैं। संतों की वाणी सुनने से जीवन में बदलाव आता है। जीवन का उत्थान होता है एवं जिंदगी में नया मोड़ आता है। मुनि श्री ने कहा कि जीवन में सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए। संतो के आने से बाहर आती है, वह सन्मार्ग दिखाते हैं।
उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमलकुमारजी ने मंगल उद्बोधन देते हुए फरमाया कि आज इस उपाश्रय में त्रिवेणी संगम हो गया है। हमने जैन कुल में जन्म लिया है, उससे प्राप्त संस्कार हमें यह सिखाते हैं कि हम भूखे रह सकते हैं, मगर अभक्ष्य नहीं खाएंगे। जैनों की मुख्य दो परंपराएं हैं – दिगंबर एवं श्वेतांबर। श्वेतांबर परंपरा को मानने वाले साधु वस्त्र धारण करते हैं एवं दिगंबर परंपरा को मानने वाले साधु वस्त्र धारण नहीं करते हैं। आचार्य भिक्षु ने फरमाया की मूर्छा परिग्रह है। आचार्य तुलसी ने कहा मुख वस्त्रिका हमारी प्रतीक है। मुनि वायुकाय के जीवो की हिंसा से बचने के लिए मुख वस्त्रिका धारण करते हैं।
मुनि श्री ने आगे फरमाया कि आचार्य भिक्षु ने दया की नई परिभाषा देते हुए बताया था कि पापाचरणों से अपनी आत्मा की रक्षा करना, दया है। सामायिक से छःकाय के जीवो की हिंसा से बचा जा सकता है। जैन धर्म के सिद्धांतों को पालन करने वाला खुशहाल हो जाता है। श्रावक समाज को रात्रि भोजन परिहार एवं नवकारसी का पालन करना चाहिए, इससे शरीर निरोग रहता है। जैन धर्म के सभी संप्रदायों को मिलजुल कर कार्य करना चाहिए, इससे जैन धर्म की प्रभावना और अधिक बढ़ती है।
कार्यक्रम के प्रारम्भ करते हुए मुनि श्री नमीकुमारजी ने अपने विचारों से अवगत कराते हुए फरमाया कि समन्वय करके चलने से जैन धर्म की ओर अधिक प्रभावना होगी। तत्पश्चात युवा संत मुनि श्री अमनकुमारजी ने फरमाया कि संत मिलते हैं तो दिल खिलते हैं और नया ज्ञान प्राप्त होता है। विनम्रता, नम्रता का गुण सभी को अपनाना चाहिए। तेरापंथ धर्मसंघ के वरिष्ठ श्रावक श्री प्यारेलालजी पितालिया ने मुनि वृंद का किलपाक क्षेत्र की ओर से अभिनन्दन किया।
इस अवसर पर तेरापंथ सभा के अध्यक्ष श्री विमल चिप्पड ने स्वागत स्वर प्रस्तुत किया एवं उपस्थित जन समुदाय का स्वागत करते हुए जैन धर्म की दो धाराओं के मिलन पर मुनि वृंद के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। मूर्तिपूजक संघ ने उपाश्रय उपलब्ध करवाया, उनके लिए आभार ज्ञापित किया। तेरापंथ सभा के मंत्री श्री प्रवीण बाबेल ने यह जानकारी प्रदान की कि उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमलकुमारजी का मंगलवार प्रातःकालीन प्रवचन ट्रिप्लीकेन तेरापंथ भवन में होगा।
-: प्रचार प्रसार प्रभारी :-
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, चेन्नई
स्वरुप चन्द दाँती