चेन्नई. श्री जैन महासंघ, चेन्नई अंतर्गत श्री श्वेताम्बर – स्थानकवासी – मूर्तिपूजक – तेरापंथ एवं दिगंबर जैन समुदाय का एक साथ-एक स्थल पर चेन्नई में विराजित आचार्य वर्धमानसागरसूरीश्वर, आचार्य जगच्चन्द्रसूरीश्वर, आचार्य तीर्थभद्रसूरीश्वर, आचार्य विमलसागरसूरीश्वर, गणिवर्य पद्मविमलसागर, गणिवर्य कल्याणपद्मसागर, मुनिराज तीर्थवल्लभ विजय, मुनि ज्ञानेन्द्रकुमार की निश्रा में सामूहिक क्षमापना का कार्यक्रम श्री जैन आराधना भवन में उल्लासपूर्वक संपन्न हुआ।
महासंघ सचिव सूरज धोका एवं चन्द्रप्रभु नया मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष शांतिलाल जैन ने सबका स्वागत किया। महासंघ के पूर्व अध्यक्ष पन्नालाल सिंघवी ने जैन महासंघ के कार्यों की जानकारी दी।
दिगंबर समाज से राजकुमार, तेरापंथी समाज से विमल, स्थानकवासी संघ से मंगलचन्द खारीवाल, श्वेताम्बर संघ से बाबुलाल वी मेहता एवं नया मंदिर ट्रस्ट के सचिव किरीट जैन ने क्षमायाचना प्रस्तुत की। मुनि ज्ञानेन्द्रकुमार ने अपने प्रवचन में द्रव्य क्षमापना और भाव क्षमापना का अंतर बताया। मुनिराज तीर्थवल्लभ विजय ने शासन के प्रति अपनी कर्तव्य निष्ठा कैसी हो उसका वर्णन किया।
आचार्य जगच्चन्द्रसूरीश्वर ने मृगावती-चंदनबाला एवं चण्डप्रद्योतन एवं उदायन जैसी भाव क्षमापना जगाने का सन्देश दिया। आचार्य विमलसागरसूरीश्वर ने जैन महासंघ के तत्वावधान में युवा जागृति का अभियान कर जन जन तक प्रभु वीर के सन्देश को पहुंचाने की खुमारी सभर प्रेरणा दी। महासंघ के सचिव सुरेश कागरेचा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। युवा संघरत्न मनोज राठौड़ द्वारा मंच संचालन सराहनीय रहा।