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जैन धर्म में तपस्या आत्मशुद्धि कर्म निर्जरा के लिए की जाती है: महासाध्वी डॉ. रुचिकाश्री जी महाराज

जैन धर्म में तपस्या आत्मशुद्धि कर्म निर्जरा के लिए की जाती है: महासाध्वी डॉ. रुचिकाश्री जी महाराज

श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी बावीस संप्रदाय जैन संघ ट्रस्ट, गणेश बाग श्री संघ के तत्वावधान में एवं शासन गौरव महासाध्वी पूज्या डॉ. श्री रुचिकाश्री जी महाराज, पूज्या श्री पुनितज्योति जी महाराज, पूज्या श्री जिनाज्ञाश्री जी महाराज के पावन सानिध्य में शुक्रवार प्रातः दिनांक 24 सितम्बर 2021 को श्री गुरु गणेश जैन स्थानक, गणेश बाग में प्रवचन एवं मास खमण तपस्वी साधिका का अभिनन्दन समारोह आयोजित किया गया।

महासाध्वी पूज्या डॉ. श्री रुचिकाश्री जी महाराज ने अपने प्रवचन में श्रावक के 21 गुण की श्रृंखला में साध्वीजी ने कहा कि जो श्रावक 21 गुणों से सम्पन्न होता है सही मायनों में उसे ही श्रावक कहते है। जैन धर्म में श्रावक होने के लिए कुछ आवश्यक शर्ते बतायी गई हैं। प्रत्येक गृहस्थ श्रावक नहीं कहला सकता, वरन् विशिष्ट व्रतों को अंगीकार करने वाला गृहस्थ ही श्रावक कहलाता है। इन गुणों का धारक श्रावक निश्चित रूप से अपने जीवन निर्माण के साथ समाज और राष्ट्र का भी उत्थान करता है। साध्वी श्री रुचिकाश्री जी ने तपस्या का महत्त्व पर बोले की जैन धर्म में तपस्या आत्मशुद्धि कर्म निर्जरा के लिए की जाती है।

तपस्या करने के लिए संकल्प बल, मनोबल, आत्मबल की अपेक्षा होती है। तप ज्योति है, तप साधना है, तप उपासना है, तप औषधि है और मोक्ष मंदिर का सोपान है। और आज कोलार निवासी श्रीमती भावना धारीवाल ने मास खमण की भावना से आज 29 की तपस्या का प्रत्याख्यान लेकर अपने दोनों कुल का नाम रोशन करते हुए अपने कर्म निर्जरा के लिए उत्तम मार्ग लिया जो अनुकरणीय एवं अभिनंदनीय है।



साध्वी श्री जिनाज्ञाश्री जी महाराज ने पुच्छिसुंण का जाप करवाया। साध्वी श्री जिनाज्ञाश्री जी महाराज अपने मंगलवाणी में फ़रमाया कि जिस प्रकार सोना खूब तपने के बाद ही खरा सोना बनता है उसी तरह हम अपने जीवन में श्रद्धा के साथ तप, ध्यान, मंत्र जप, सामयिक, प्रतिक्रमण, करते हुए दूसरों की सेवा दान इत्यादि तप कर अपने जीवन की सार्थकता को सिद्ध कर सकते हैं।

धर्म सभा का संचालन करते हुए गणेश बाग श्री संघ के सदस्य सुनील सांखला जैन ने सभी का स्वागत किया एवं तपस्वियों के अभिनन्दन सम्मान में श्री संघ की और से अभिनन्दन पत्र का वाचन किया एवं गणेश बाग श्री संघ की और से तपस्वी साधिका श्रीमती भावना धारीवाल का अभिनन्दन सन्मान श्री संघ के लालचंद मांडोत, सुनील सांखला जैन, सम्पतराज मांडोत एवं महिला मंडल के सदस्या निर्मला सांखला, संतोष भंडारी, मंजू मांडोत एवं ख़याली बाई द्वारा चुनरी, माला, रजत स्मृति चिन्ह एवं अभिनन्दन पत्र से किया गया।

आज के धर्म सभा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही। धर्म सभा का संचालन एवं स्वागत गणेश बाग श्री संघ सदस्य सुनील सांखला जैन ने किया। डॉ. श्री रुचिकाश्री जी महाराज ने मंगलपाठ फ़रमाया ।

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