शान्तिदूत आचार्यश्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री रमेश कुमार जी के सान्निध्य में ट्रिप्लीकेन स्थित तेरापंथ भवन में तप त्याग से पर्युषण पर्व की आराधना चल रही है । स्वाध्याय दिवस के रुप में आज का दिन आयोजित हुआ ।
पर्युषण पर्व पर जैन संस्कार और जैन संस्कृति विषय पर अपने ओजस्वी विचार प्रस्तुत करते हुए मुनि रमेश कुमार ने कहा- जैन केवल धर्म ही नहीं है । जैन अपने आप में संपूर्ण संस्कृति है। संस्कृति की सुरक्षा संस्कारों से ही संभव है। जैन समाज धर्म में श्रद्धा रखता है।
धर्मस्थानों में पर्युषण पर्व पर बढ चढ कर भाग लेता है। जीवन के संस्कार जैन धर्म के अनुरुप कितने हैं । इसे गहराई से चिंतन करें । जैन संस्कृति आज विकृत हो रही ।संस्कारों का पतन ऐसे ही होगा तो जैन संस्कृति की सुरक्षा कौन करेगा? जन्म , विवाह , मृत्यु के अवसर पर जैन पद्धति के अनुरुप होना चाहिए ।
जैन संस्कार को व्यवहार में अपनाने की प्रेरणा देते हुए मुनि रमेश कुमार ने आगे कहा- जैन शाकाहारी हैं । जिन खाद्य पदार्थों में पशुओं के मांस, चर्बी का सम्मिश्रण हो ऐसे खाद्य पदार्थों से स्वयं भी बचे अपने परिवार को भी जागरुक करें । चमड़े बनी वस्तुओं, सिल्क जैसे की साङी या अन्य वस्त्र जिसमें लाखों कीडो का वध होता है उसका परिहार करना चाहिए । हिंसा प्रधान सौन्दर्य सामग्री को उपयोग में न लें । हम जैन है। अहिंसा में हमारा विश्वास है इसलिए इन सब से दूर रहें ।
स्वाध्याय दिवस पर मुनि सुबोध कुमार जी ने अपने उद्बोधन में कहा-अध्यात्म जीवन का महत्वपूर्ण पक्ष है। उसे पुष्ट करने का सशक्त माध्यम है स्वाध्याय। धार्मिक साहित्य का सतत् स्वाध्याय करते – करते एक दिन साधक अपने आप का, अपनी आत्मा का स्वाध्याय करने लग जाता है।
मै कौन हूँ? कहाँ से आया हूं? मुझे कहाँ जाना है? ऐसी अनुभूति स्वाध्याय ध्यान से होती है। इसलिए ही स्वाध्याय को परम तप कहा है। परम औषधि है। इसका सेवन करने से आधि, व्याधि, उपाधि जैसे रोग मिटते हैं। समाधि की ओर हम आगे बढ सकते है।
इससे पूर्व मुनि रमेश के महामंत्रोच्चारण से आज का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। श्रीमती सरिता संचेती, संगीता मरलेचा, निकिता बरङिया, स्वाध्याय गीत से मंगलाचरण किया । मंगलपाठ से पूर्व मुनि रमेश कुमार जी द्वारा लिखित पुस्तक *दिशा सकारात्मकता की* नया संस्करण जिसे जैन विश्व भारती ने प्रकाशित किया है ।
मैनेजिंग ट्रस्टी गौतम जी सेठिया, पूर्व अध्यक्ष धर्मीचन्द जी लूकंड, बसन्तराज मरलेचा , चम्पालाल जी मुथा , सुरेश संचेती, केवल चन्द जी मांडोत ने पुस्तक की प्रति मुनि रमेश कुमार को निवेदित की ।
संप्रसारक
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी ट्रस्ट ट्रप्लीकेन चैन्नई