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 जैन का विशेष निर्देश है सादा जीवन उच्च विचार: जयतिलक मुनिजी

 जैन का विशेष निर्देश है सादा जीवन उच्च विचार: जयतिलक मुनिजी

नार्थ टाउन के ए यम के यम स्थानक में चातुर्मासार्थ विराजित गुरुदेव जयतिलक मुनिजी ने प्रवचन में फरमाया कि आत्म बंधुओ, सम्यकत्व के दूषण यानि मलिनता बताये है। मलिनता यानि सम्यकत्व से मिथ्यात्व की ओर बढ़ना लेकिन जैन का विशेष निर्देश है सादा जीवन उच्च विचार । ऊच्च विचार यानि सदाकाल सही सोचना सही बात का निर्णय करना । ऊंचे विचार रहेंगे तो किसी क प्रति भी बुरी भावना नहीं आयेगी जैन कुल में जन्म लेने पर भी भौतिकता में रचा पचा रहता है ।

सादा जीवन अच्छा नहीं लगता है। आडम्बर युक्त जीवन जीने की अभिलाषा नहीं रखना। सादा जीवन जीने की इच्छा रखना। आडम्बर युक्त जीवन- जीने से अंहकार बढ़ता है ज्ञानी जन कहते है व्यक्ति गुणों से पूजा जाता है वस्त्रों से नहीं। जैन धर्म में गहनों और वस्त्रों को नहीं दिखाया जाता है अन्य धर्मों में आडम्बर युक्त जीवन पर जोर दिया हैं आडम्बर युक्त जीवन मिथ्यात्व की ओर ले जाता है कर्मबन्ध होते है बहुत से नवयुवक है जिनको सामायिक प्रतिक्रमण करने की इच्छा नहीं होती है लेकिन जहाँ दुसरो की पूजा में पूरी रात भी बैठे रह जाते है ऐसे धर्म को अच्छा मानना मिथ्यात्व है। कहते है आग के पास रुई रहे या रुई के पास आग, खतरा रुई को है ।

सादा जीवन अच्छा नहीं लगता है लेकिन भगवान कहते है जितना जीवन सादा होगा उतना आरम्भ सारम्भ भी कम होगा। कर्म बन्ध कम होंगे। आकर्षण ही जीव का घात करता है। प्रदर्शन की इच्छा करने से मिथ्यात्व लगता है अन्य धर्मो के आडम्बर की प्रशंसा करने मात्र से ही मलिनता आ जाती है लेकिन जैन धर्म में इसको मलिनता दूर करने के साधन बताये है मिथ्यावी देवों को हाथ जोड़ने से भी मलिनता आती है सम्यकत्व नष्ट होता है पाप से बचने का उपाय धर्म ध्यान में हैं, धर्म ध्यान सादगी से करो । जैन धर्म मे धर्म ध्यान करने से निर्जरा होती है अन्य धर्मो में नहीं । मैत्री दिवस कितनी शुद्धता से जैनो में मनाते है ।

कितनी सादगी से जैनों में मैत्री दिवस मनाते है। दूसरे धर्म राग को बढ़ाने वाले त्यौहार है । सम्यकत्व धर्म का राग है हर कोई आसानी से पालन नहीं करता हैं । सम्यकत्वी जीवों की प्रशंसा नहीं करते, सेवा नहीं करते है तो कैसे कर्मों की निर्जरा होगी। सोने को व्यापारी कैसे शुद्ध सोने की प्रशंसा करता है वैसे ही सम्यकत्वी जीवों को प्रशंसा करो, सेवा करो। इससे सम्यक दृढ़ व होगा सम्यक दृढ़ होगा तो मलिनता अपने आप ही दूर होगी जीवन जीने की इच्छा होगी। मिथ्यात्वी सादा जावन की प्रशंसा करने से मिथ्यात्व ही लगेगा मिथ्या की और जाते-जाते हम धर्म से भ्रष्ट हो जायेंगे । इसलिए सम्यक्त्व को धारण करके हम पापों से बचकर मोक्ष में भी जा सकतें है।

बैंगलोर शहर के भारतीय जनता पार्टी के राज्य सभा सांसद श्री लहरसिंह जी सिरोया नार्थ टाउन पधारें। उनका बहुमान संघ के द्वारा उपाध्यक्ष अशोक कोठारी व कोषाध्यक्ष राजमल सिसोदिया ने किया ! साथ में सुरेश जी लुणावत भी पधारें।

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