बुधवार दिनांक 15 मई 2024 को श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ तमिलनाडु के तत्वावधान में इतिहास मार्तण्ड बाल ब्रह्मचारी, सामायिक- स्वाध्याय के प्रबल प्रेरक रत्नवंश के सप्तम पट्टधर आचार्य श्री हस्तीमलजी म.सा की 33 वीं पुण्यतिथि सामूहिक सामायिक दिवस के रुप मे स्वाध्याय भवन साहूकारपेट चेन्नई मे मनाई गयी |
पुण्यतिथि कार्यक्रम के संचालक रत्न हितैषी श्रावक संघ तमिलनाडु के कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्र कांकरिया ने सभी श्रदालु श्रावक-श्राविकाओं का स्वागत करते हुए आचार्यश्री के 71 वर्षो के निरतिचार संयम साधना व 61 वर्षों तक संघ के कुशलतापूर्वक किये गए संचालन का उल्लेख करते हुए जैन कांफ्रेंस के अंतर्गत अजमेर,सादड़ी,सोजत व भीनासर में सम्पन्न हुए साधु सम्मेलनों मे उनकी भूमिका, सहभागिता, सेवाओं पर प्रकाश किया व सम्पन्न सम्मेलनों मे पारित हुए नियमों,साधु सामाचारी की विस्तृत जानकारी दी और आचार्य पूज्यश्री हस्तीमलजी म.सा के द्वारा श्रमण संघ मे निभाई गई जिम्मेदारियों व कुशलतापूर्वक निर्वहन किये दायित्वों पर विस्तृत प्रकाश किया | दैनिक रुप से स्वाध्यायी सेवा देने वाले वीरपुत्र व वीरभ्राता आर वीरेन्द्रजी कांकरिया ने कहा कि श्रावकों को तत्त्वों की जानकारी अति आवश्यक हैं |
आध्यात्मिक शिक्षण बोर्ड के संयोजक अशोकजी बाफना ने आचार्य हस्ती का जीवन सरल व प्रेरणादायी बताया | युवक परिषद तमिलनाडु के शाखा प्रमुख संदीपजी ओस्तवाल ने कहा कि आत्मा मे लीन आचार्यश्री सभी से जुड़े हुए थे पर किसी से बंधे हुए नही रहे | वरिष्ठ स्वाध्यायी बन्धुवर नवरतनमलजी चोरडिया ने उनके अप्रमत्त जीवन पर भाव रखे | स्वाध्याय संघ तमिलनाडु के पूर्व निर्देशक चम्पालालजी बोथरा ने गुरु के उपकारों व संस्मरणों का उल्लेख किया | संघ के पूर्व मन्त्री जवाहरलालजी कर्णावट ने महाप्रभावक आचार्यश्री के आठ विशिष्टतापूर्ण गुणों का विस्तृत वर्णन करते हुए संबंधित संस्मरणों का उल्लेख किया |
शाशुन कॉलेज, टी.नगर, चेन्नई के जैनालोजी विभाग के प्रमुख व जैन शोधकर्ता डा.दिलीपजी धींग ने आचार्य हस्ती के विद्धवतों के प्रति गुणग्राहिकता भावों पर अपने सम्मान भाव रखे | श्राविका मण्डल की पूर्व सचिव श्रीमती शशिजी कांकरिया ने ह्रदयस्पर्शी स्तुति ” सुनो कहानी गुरु हस्ती की ” प्रस्तुत की | वीर परिवार के वरिष्ठ श्रावक श्री शान्तिलालजी चौधरी ने मांगलिक सुनाई| गुरुभ्राता विनोदजी जैन ने एकासन, उपवास,नीवी, पोरसी आदि तपस्याओं के प्रत्याख्यान कराए |
इस अवसर पर महावीरचन्दजी छाजेड़, एच प्रकाशचंदजी ओस्तवाल, वी निखिलजी कांकरिया, रुपराज जी सेठिया, इंदरचंदजी कर्णावट, महावीरचन्दजी कर्णावट, मनिषजी जैन, दीपकराजजी चौधरी श्रीमती उषादेवीजी कर्णावट, प्रमिलाजी दुगड, जयंतिजी बागमार सहित पेरंबूर, किलपाक, चिन्तादरीपेट, कोंडीतोप, वेपेरी, चूले आदि क्षेत्रों से अनेक श्रदालुओं ने दो -दो सामायिक की साधना मे आचार्य हस्ती चालीसा की सामूहिक स्तुति करते हुए जिनशासन की शोभा मे अभिवृद्धि की | महापुरुषों आचार्य भगवन्तो, उपाध्याय भगवन्त भावी आचार्यश्री साध्वी प्रमुखा समस्त चरित्र आत्माओं की जयजयकार संग पुण्यतिथि गुणगाण पूर्वक सम्पन्न हुई |