बकरीद एवं अन्य धार्मिक आयोजनों में जीव हत्या व बलि का विरोध
बेंगलूरु। जीव हत्या के विरोध में हिन्दू व जैन संगठन एकजुट हो रहे हैं। सभी संगठनों की मांग है कि केन्द्र व कर्नाटक सरकार पशु क्रूरता निवारण कानून को कड़ाई से लागू करे। सरकारों की कानूनों के प्रति सजगता नहीं होने के कारण आमजन कानूनों के साथ खिलवाड़ करने से बाज नहीं आता है। अपने ही काननों के प्रति मूक बनी सरकार को जागरूक करने के लिए जीव दया प्रेमी संगठनों ने बीड़ा उठाया है।
इसी को लेकर गोवंश-पशु हत्या मुक्त कर्नाटक निर्माण महासंघ, विश्व प्राणी कल्याण मंडल व गोवंशरक्षा दल ने शुक्रवार को सत्याग्रह करने का ऐलान किया है। इसी क्रम में शुक्रवार सुबह 11 बजे से जेसी रोड स्थित टाऊन हॉल के बाहर सत्याग्रह किया जाएगा। गुरुवार को प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में गोवंश-पशु हत्या मुक्त कर्नाटक निर्माण महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक व राज्य गो सेवा आयोग के पूर्व सदस्य दयानन्द स्वामी ने यह जानकारी दी।
पत्रकार सम्मेलन में उन्होंने बताया कि कर्नाटक सरकार ने राज्य में गो तथा जीव हत्या पर पूरी तरह रोक लगा रखी है। इसके बावजूद प्रदेश में जीवों का वध किया जा रहा है। खुले आम बाजारों में हजारों पशुओं का सौदा किया जा रहा है। पुलिस प्रशासन जानकर भी मौन है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम धर्मावलम्बी 12 अगस्त को पूरे विश्व में बकरीद का त्योहार मनाने जा रहे हैं। इस त्योहार में समस्त देशवासी उनके साथ हैं, लेकिन धर्म के नाम पर हिंसा के तांडव का विरोध करते हैं।
उन्होंने कहा कि धर्म के नाम पर विश्व में करोड़ों पशुओं की हत्या की जाएगी। उन्होंने इस पर सुप्रीम कोर्ट एवं कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए जीव हत्या पर पूरी तरह रोक लगाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म जीव हिंसा की अनुमति नहीं देता है। चाहे हिन्दू हो या मुसलमान। सभी धर्मों में दया, अहिंसा एवं परोपकार को परम धर्म माना गया है। कोई भी धर्म अपनी खुशी के लिए दूसरों की जिंदगी छीनने की इजाजत नहीं देता है। दयानन्द स्वामी ने कहा कि यदि खुदा को अपनी सबसे प्यारी चीज देनी है तो स्वयं की जान से ज्यादा प्यारी चीज कुछ नहीं हो सकती है। खुदा हिंसा से नहीं इबादत से खुश होता है।
उन्होंने यह भी कहा, बाढ में अकाल मौत का शिकार हो रहे जीव जंतुओं की रक्षा के लिए सभी लोगों को आगे आना होगा।
राज्य गो सेवा आयोग के पूर्व सदस्य उत्तमचंद छाजेड़ ने कहा कि उत्तर कर्नाटक एवं दक्षिण कन्नड़ जिले में बाढ़ के दौरान अनेक पशु अकाल मौत के शिकार हो गए हैं। एक तरफ अतिवृष्टि और दूसरी तरफ अनावृष्टि के कारण हजारों जीव अकाल मौत का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि धर्म के नाम पर जीव हत्या कर पृथ्वी से जीवों को मिटाया जा रहा है, इससे पर्यावरण असंतुलन का भयानक खतरा उत्पन्न हो गया है।
भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड दिल्ली के सदस्य गिरीश भाई शाह ने बताया कि भारतीय पशु क्रूरता अधिनियम 1960 के तहत भारतीय संविधान में तय किया गया है कि किसी भी जीव पर क्रूरता न हो। इसी अधिनियम के तहत 1962 में भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड की स्थापना की गई थी। इसका मूल्य उद्देश्य किसी भी जीव पर क्रूरता न हो। उन्होंने बताया कि कर्नाटक सरकार को प्रदेश में भारतीय पशु क्रूरता अधिनियम का कड़ाई से पालन कराना होगा।
गोवंश -पशु हत्या मुक्त कर्नाटक निर्माण महासंघ व विश्व प्राणी कल्याण मंडल के सदस्य अशोक नागोरी ने बताया कि बकरीद पर जीव हत्या रोकने को लेकर प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री बी.एस.येडियूरप्पा से भेंट की। मुख्यमंत्री ने प्रदेश की पुलिस महानिदेशक व मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि वे पशु क्रूरता अधिनियम की सख्ती से पालना कराएं।
इस अवसर पर अखिल भारतीय दलित क्रिया समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष चि.ना.रामू, पूर्व पार्षद कविता जैन, गो सेवी शारदा चौधरी, पुष्पा बोहरा, संगीता भंसाली एवं पवनी बाफना ने भी जीव हत्या का विरोध करते हुए शुक्रवार को टाउन हॉल के बाहर होने वाले नवकार जाप, सर्वधर्म प्रार्थना सभा तथा सत्याग्रह में शामिल होने का आग्रह किया है।