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जीव की मुक्ति व बंध का कारण है मन: साध्वीवृंद कंचनकुंवर

जीव की मुक्ति व बंध का कारण है मन: साध्वीवृंद कंचनकुंवर

चेन्नई. पुरुषावाक्कम स्थित एएमकेएम में विराजित साध्वीवृंद कंचनकुंवर के सानिध्य में साध्वी डॉ. हेमप्रभा ने कहा मन ऐसा बेलगाम घोड़ा है जिसे श्रुत की लगाम से ही वश में किया जा सकता है। जैसे शुभ चिंतन हमारे मन, विचार, भावों में होंगे वैसे ही परिणाम प्राप्त होंगे। मनुष्य का संसार के प्रति ममत्व ही उसे राग, द्वेष, ईर्षा, लोभ के वश कर उसे कर्मबंध की ओर ले जाता है।

इनसे छुटकारा पाने के लिए महापुरुषों ने जाग्रति के छह सूत्र दिए हैं। पहला चाहे कितने ही विशाल घर में रहें, सदैव अपने असली घर शमशाम को याद रखें कि एक दिन सभी को जाना है। दूसरा शरीर को जब भी आराम दें, तब अपनी अंतिम दशा का चिंतन करें। तीसरा कीमती वाहनों के प्रति राग हो तो मनुष्य के अंतिम वाहन अर्थी का विचार कर लें। चौथा मनुष्य वस्त्रों के लगाव से लोभ, मान, माया, अभिमान का पोषण करता है।

पहनावे के प्रति ज्यादा लगाव हो तो अंतिम समय के परिधान को याद कर लें। पांचवां रसेन्द्रिया के वश में होने पर अंतिम समय के नीरस आहार को याद करें। छठा- कर्णप्रिय संगीत के प्रति अधिक लगाव हो तो अंतिम समय के रुदन को स्मरण कर लें।

साध्वी डॉ.इमितप्रभा ने कहा मानव के पास सबसे शक्तिशाली यंत्र उसका मन है, जिसके तीन कार्य हैं- स्मृति, विचार और कल्पना। व्यक्ति मन से अपने भूतकाल की स्मृति करता है, वर्तमान के बारे में विचार करता है और भविष्य की कल्पना करता रहता है। मन अच्छा भी है, बुरा भी। प्रशस्त भी है और अप्रशस्त भी। जीव के बंध का कारण उसका मन है और जीव की मुक्ति का कारण भी उसका मन ही है।

अनन्त-अनन्त काल से हमारी आत्मा में पड़े हुए संस्कारों के कारण यह बार-बार भटकता है। कभी स्मृति, कभी विचार तो कभी कल्पनाएं करता है। ज्ञानी कहते हैं कि इस मन को श्रुत की लगाम से कंट्रोल करना है। अगर हम भावों के परिवर्तन पर नियंत्रण कर लें तो उन्हें क्रियान्वित होने से रोक सकते हैं। कलुषित विचार आए तो अपनी आत्मा के, मन के भावों को मोड़ दें तो प्रभु कहते हैं कि इससे अशुभ कर्म बंध नहीं होगा। यह कला आ गई तो निश्चित रूप से साधना सिद्धि अवश्य मिलेगी।

धर्मसभा में हीराचंद पींचा, पवन चोरडिय़ा, एस.अशोक चोरडिय़ा, सिद्धेचंद लोढ़ा, साध्वी डॉ.इमितप्रभा के सांसारिक भाई वसंत बाफना, चातुर्मास समिति के पदाधिकारियों सहित रतलाम, इंदोर आदि से श्रद्धालु उपस्थित थे। दोपहर में सुखविपाक सूत्र पर परीक्षा हुई। रविवार को मरुधर केसरी मिश्रीमलज व वरिष्ठ प्रवर्तक रूपचंद की जन्म जयंती मनाई जाएगी। महावीर इंटरनेशनल द्वारा नेत्र शिविर लगाया जाएगा।

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