पर्युषण महापर्व की आराधना के अन्तर्गत आज पंचम दिवस अणुव्रत चेतना दिवस के रूप में मनाया । इस अवसर पर विचार प्रकट करते हुए मुनि मोहजीत कुमारजी ने कहा कि अणुव्रत की चेतना के जागरण का अर्थ है हृदय परिवर्तन । अणुव्रत आचार संहिता के ग्यारह नियम है। ये नियम जैन शैली में परिवर्तन और संयम के मनोभावों को विकसित करने का आधार है। अणुव्रत वैचारिक और व्यावहारिक आन्दोलन है। यह आन्दोलन मानव को मानवीय मूल्यों से जीने की प्रेरणा देता है। मुनि मोहजीत कुमारजी ने आत्मभाव गीत ‘महावीर मुझे बनना है’ की प्रस्तुति के साथ भगवान महावीर की अध्यात्म यात्रा के प्रसंग को गतिमयता प्रदान की।
इस अवसर पर मुनि भव्यकुमारजी ने ‘श्रावक व्रत धारो’ गीत का संगान कर व्रतों के प्रति जागरूक रहने का सम्बोध दिया। मुनि जयेश कुमारजी ने तीर्थकर जीवन दर्शन श्रृंखला में भगवान शान्तिनाथ के जीवन वृत्त को सामयिक भाव-भाषा में प्रकट किया। और स्वयं के भीतर देखने के लिए प्रेक्षा ध्यान का विशेष प्रयोग कराए
पर्युषण पर्व पर तपस्या का दौर निर्बाध चल रहा है। पचपदरा से समागत श्रीमती खुश्बू देवी हीरालाल शर्मा ने 27 दिन की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। रात्रिकालीन उपक्रम में मुनि मोहजीत कुमार ने आचार्य भिक्षु से मिलन को ‘सपने’ के रूप में प्रकट किया। इस अवसर पर वृहद संख्या में तेरापंथ श्रावक समाज उपस्थित हुआ । पर्युषण पर्व के दौरान रात्रिकालीन जाप तेरापंथ सभा और युवक परिषद के सदस्य कर रहे है। दिन के जाप में तेरापंथ महिला मंडल अपनी सहभागिता दर्ज करा रही है। समाचार प्रदाता : नवीन सालेचा