कपिल मुनि का जन्मदिवस मनाया
चेन्नई. विरुगम्बाक्कम स्थित एमएपी भवन में विराजित कपिल मुनि का रविवार को जन्मदिवस 3-3 सामायिक साधना व एकासन तप की आराधना के साथ मनाया गया। इस मौके पर मुनि ने कहा जैसे बिना नींव के मकान का निर्माण नहीं होता वैसे ही बिना धर्म के जीवन का कोई भी सपना पूरा नहीं होता ।
जीवन रुपी महल की नींव है धर्म। जिसके जीवन में धर्म की प्रतिष्ठा होती है वही जीवन वंदनीय और स्मरणीय होता है । इस संसार में ऐसा कुछ भी स्थिर और शाश्वत नहीं है जिससे जुडऩे में सार दिखाई देता हो। शरीर को रोग का भय है, सुंदरता को बुढ़ापे का, संपत्ति को चोर का और सत्ता को चले जाने का भय सदैव रहता है ।
इस भय से उबरने में कदाचित सफलता भी मिल जाए मगर जीवन के साथ जो मृत्यु का भय लगा हुआ है उससे उबरने की ताकत दुनिया के किसी में नहीं है। हमारे भीतर एक ऐसा स्थिर घटक है जिससे जुड़ जाने के बाद किसी भी प्रकार का भय मन को खिन्न और उदास नहीं कर सकता। उस स्थिर घटक का नाम है आत्मा। उस आत्मा की आराधना ही जीवन का सार है उद्देश्य है।
उस आत्मा को प्राप्त करने का उपाय है दोषों का नाश और सदगुणों का विकास। वासना में कमी आती रहे और उपासना बढ़ती रहे। स्वच्छंदता की जगह विवेक की प्रतिष्ठा होती रहे। एक दिन निश्चित रूप से मंजिल मिलकर रहेगी। मुनि श्री ने कहा कि मैं आज जो कुछ भी हूं, परम उपकारी आराध्य गुरुदेव की कृपा की बदौलत हूं ।
मेरे जीवन की सभी उपलब्धियों का श्रेय गुरुकृपा को जाता है मेरे मन की एक ही तमन्ना है कि उनके प्रति मेरे मन में कृतज्ञता का भाव सदैव बना रहे। संघमंत्री महावीरचंद पगारिया ने संघ की ओर से मुनि श्री के दीर्घ और यशस्वी जीवन की शुभ कामना व्यक्त करते हुए कहा कपिल मुनि बेहद अध्ययनशील, गुणग्राही और जिज्ञासु वृत्ति के धनी हैं।
इनके व्यवहार की पारदर्शिता बेहद गजब की है। आप अपने प्रभावी और ओजस्वी प्रवचनों से जन जन के मन में धर्म की लहर पैदा करते रहें। धर्मसभा में महानगर के अनेक गणमान्य व्यक्तियों सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।