चेन्नई. गोपालपुर स्थित भगवान महावीर वाटिका में विराजित कपिल मुनि कहा प्रभु वीर की अंतिम वाणी जिनवाणी के एक एक शब्द और वचन में प्रभु की प्राणिमात्र के प्रति दया और करुणा मुखरित हो रही है । अगर आज हमारे पास प्रभु वाणी का संबल नहीं होता तो विश्व कैसी दयनीय हालत से गुजर रहा होता इसकी हम कल्पना नहीं कर सकते। आज विश्व ऐसे दोराहे पर खड़ा है जहां दो ही विकल्प है महावीर या महाविनाश। अपने जीवन को को महाविनाश के गर्त में जाने से बचाना है तो महावीर की वाणी को अमल में लाना होगा।
यह वाणी प्रदर्शन से उपरत होकर आत्मदर्शन की पवित्र प्रेरणा प्रदान करती है। आडम्बर, फैशनपरस्ती, दुव्र्यसन और अनाचार आदि न मालूम कितने अवगुण आज के सभ्य समाज में फैले हुए हैं जो हानिकारक हैं, इनसे आये दिन अनेकों कष्ट, मुसीबत और आपदायें मनुष्य को घेरे रहती हैं। इनसे भी अधिक शक्तिशाली और अनेक अवगुणों का जनक यह मिथ्या आडम्बर है। अपनी अल्प विकसित अवस्था में भी मनुष्य सुखी रह सकता है।
लोग समझते हैं कि जितना ही अधिक अपने आप को प्रदर्शित करेंगे उतनी ही हमारी औकात बढ़ेगी, सम्मान बढ़ेगा, मान और प्रतिष्ठा बढ़ेगी। पर यह भूल जाते हैं कि हम जिस समाज में पलकर इतने बड़े हुए उससे हमारी वस्तु स्थिति छिपी नहीं है। कदाचित ऐसा भी हो जाए तो काठ की हांडी कितने दिन आंच सहेगी। आखिर जिस दिन टूट गई उस दिन अभी तक जितना सम्मान नहीं मिला, उससे कही अधिक लज्जा, आत्मग्लानि, अविश्वास और उपहास का सामना करना पड़ेगा।
पोल खुलती है तो मनुष्य अपना मुँह छिपाने लायक नहीं रहता फिर क्या आवश्यकता है कि हम मिथ्या आडम्बर प्रदर्शित करें। आडम्बर प्रदर्शन की मनोवृत्ति के कारण आज लोगों में कितनी चिन्ता, उदासी और बेचैनी रहती है यह किसी से छुपा नहीं मिथ्या आडम्बर का परिणाम यह हुआ कि हजारों घर बरबाद हो गये हैं सैकड़ों अशान्ति कलह और दुर्दशा की आग में सुलग रहे है। लोगों के स्वास्थ्य खराब हो रहे हैं। अनेकों को तो आत्महत्या जैसे दुखद अपराध भुगतने पड़े हैं। जो ऐसा नहीं करते वे घुल-घुल कर अपना जीवन तत्व बरबाद करते रहे हैं अपनी स्थिति से बढक़र झूठे दिखावे की बात तर्कसंगत नहीं कही जा सकती है।
हमारे जीवन की दुर्दशा का कारण आज यही है कि लोग अपनी हैसियत से अधिक अपने आप को प्रदर्शित करना चाहते हैं। इसके लिये चाहे कितने अनैतिक अपराध करने पड़ें। भीतर-भीतर बढ़ते हुए इस प्रकार के अपराधों के कारण ही भ्रष्टाचार, दुराचार, और मिथ्याचार बुरी तरह बढ़ रहा है। बाहरी दिखावे और प्रदर्शन को जो मान प्रतिष्ठा का आधार मानते हैं वे भ्रम में हैं।
बुद्धिमान पुरुष बाहरी भडक़ीले और चमकीले वस्त्राभूषणों के कारण लोगों को आदर की दृष्टि से नहीं देखते। मनुष्य की शालीनता उसकी सादगी में होती है। सद्विचार और सादगी का परस्पर का अत्यन्त निकट का सम्बन्ध होता है। जहाँ सादगी होगी वहीं सत्कर्म होंगे, जहां सत्कर्म होंगे वही सुख और सुव्यवस्था होगी। प्रेम, एकता और विकास के अनेकों साधन अपने आप मिलते चले जायेंगे। धर्म सभा का संचालन संघ मंत्री राजकुमार कोठारी ने किया । अध्यक्ष अमरचंद छाजेड़ ने आगंतुकों का सत्कार किया।