मुंबई, राष्ट्र-संत महोपाध्याय ललितप्रभ सागर महाराज ने कहा कि जीवन में जितनी जरूरत शिक्षा की है, उतनी ही जरूरत संस्कारों की है। शिक्षा न मिली तो खुद को नुकसान उठाना पड़ेगा, पर संस्कार न मिले तो सारे कुटुम्ब को नुकसान झेलना पड़ेगा। जो इंसान अपने जीवन में संस्कारों की माला धारण कर लेता है, उसे फिर हाथ में माला पकडने की जरूरत नहीं होती। यों तो जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कारों की जरूरत होती है, पर जीवन-निर्माण के लिए 7 संस्कार काफी हैं। उन्होंने कहा कि पहला है स्वच्छता का संस्कार। स्वच्छता स्वर्ग को साकार करने की पहली सीढ़ी है। सफाई कर्मचारी तो आजीविका जुटाने के लिए सफाई करते हैं, पर हम इसे स्वस्थ जीवन और सुन्दर पर्यावरण के लिए अपनाएँ। हमारी प्रतिज्ञा हो- हमन गंदगी करेंगे, न करने देंगे।
हम हर रोज स्नान करें, धुले वस्त्र पहनें, पालतू जानवरों को स्वच्छ रखें, पड़े लगाएँ, घर, तालाब, नदी, स्कूल, ऑफिस स्वच्छ रखें। उन्होंने कहा कि दूसरा है – सम्मान का संस्कार। अपना सम्मान सभी चाहते हैं, पर यह हमें तभी मिलेगा,जब हम अपनी ओर से दूसरों को सम्मान देंगे। जिस समय हम किसी दूसरे का अपमान कर रहे होते हैं, हकीकत में उस समय हम अपना ही सम्मान खो रहे होते हैं। हमारा संकल्प हो – सबसे प्यार, सबका सम्मान। हम अपने से बड़ों के साथ ‘विनम्रता’ से पेश आएँ, अपनी पत्नी को भी ‘इज्जत’ दें, छोटों को भी ‘आप’ का संबोधन दें, काम करने वाली बाई के साथ भी ‘शालीनता’ से पेश आएँ।
उन्होंने कहा कि तीसरा है – सहनशीलता का संस्कार । विपरीत परिस्थिति घटित होने पर धैर्य रखना ही सहनशीलता है। आपका 2 मिनट का धैर्य भी आने वाले 2 दिनों को दुखी होने से बचा सकता है। सहनशीलता का सूत्र है रू बड़े डाँट दें तो सोचें- गलती होने पर बड़े नहीं डाँटेंगे तो कौन डाँटेगा। छोटों से गलती होने पर सोचें-बच्चों से गलती नहीं होगी तो किससे होगी। हम गाली का जवाब गाली से न दें, गुस्सा आने पर 10 मिनट मौन रहें, 10 लम्बी साँस लेकर अपने गुस्से को थूक दें।
संतश्री षनिवार को विनयचंद्र खवाड़ परिवार द्वारा नलिनी सदन, एक्सर रोड, लक्ष्मी नारायण मंदिर के सामने बोरीवली वेस्ट में आयोजित सत्संग समारोह में श्रद्धालु भाई-बहनों को संबोधित कर रहे थे। संतप्रवर ने कहा कि चैथा है सहयोग का संस्कार। सहयोग करने वाले हाथ उतने ही धन्य होते हैं जितने प्रार्थना करने वाले होंठ। आखिर दूसरों को सहयोग देकर ही हम उन्हें अपने लिए सहयोगी बना सकते हैं। हमें याद रखना चाहिए रू परहित सरिस धरम नहीं भाई, परपीड़ा सम नहीं अधमाई।
हम घर में एक-दूसरे के काम में हिस्सा बँटाएँ, दूसरों को पढने के लिए किताब-कॉपी दें, बुजुर्ग, अपाहिज, नेत्रहीन को रास्ता पार करने में मदद करें, घायल को अस्पताल पहुँचाएँ, भूखे को रोटी और तन ढकने को कपड़े दें। उन्होंने कहा कि पांचवां है – श्रम का संस्कार। भाग्य का दरवाजा खोलने का एक ही रास्ता है – श्रम। आखिर हमारे सपने किसी जादू के जरिए सच नहीं होते, उन्हें पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्प और कठोर परिश्रम को ही हमें अपनी ताकत बनानी होती है। सफलता का मंत्र है: श्रममेव जयते। हम हर रोज 8 घंटे दिल से मेहनत करें, आपके 24 घंटे सुखमय होने की गारंटी है।
उन्होंने कहा कि छठठा है – स्वाध्याय का संस्कार। स्वाध्याय से दिलो-दिमाग में ज्ञान के दीप जलते हैं और जीवन की विसंगतियों का दूर करने की ताकत मिलेती है। बिना स्वाध्याय के तो हमारा मन-मस्तिष्क आलतू-फालतू के विचारों में उलझा रहता है। याद रखें – एक अच्छी किताब, आगे बढने का चिराग। हम हर रोज आधे घंटा ही सही, खुद को मोटिवेट करने वाली अच्छी पुस्तकें पढने की आदत डालें।
सातवां हैं – साधना का संस्कार। साधनों का सुख भले ही दिनभर लीजिए, पर आधा घंटा ही सही, सुबह-शाम साधना का सुख भी लीजिए। जीवन में साधना को जोड़े रखेंगे, तो अंतरमन शांत, तनावमुक्त और सदाबहार आनंदमय रहेगा, नहीं तो मोह-माया में ज्यादा उलझ गए तो समझो भैंस गई पानी में। हर सुबह और रात को सोने से पहले शांति से ध्यान कीजिए और अपनी अंदरूनी ताकत को बढ़ाइए।
इससे पूर्व राष्ट्र-संत चन्द्रप्रभ, ललितप्रभ और मुनि षांतिप्रिस सागर के एक्सर रोड़ पहंुचने पर खवाड़ परिवार एवं श्रद्धालुओं द्वारा अक्षत उछालकर बधावणा किया गया। कार्यक्रम में गुरुजनों ने विनयचंद्र, अजित, संदीप, संचित, रचित खवाड़ परिवार को स्फटिक माला देकर आषीर्वाद दिया। प्रवचन में सैकड़ों भाई-बहन उपस्थित थे।
रविवार को होंगे मां मागल्य भवन, लिंक रोड पर होंगे प्रवचन-अध्यक्ष पारस चपलोत एवं मंत्री षंकर घीया ने बताया कि पावन चातुर्मास एवं दिव्य सत्संग समिति द्वारा राष्ट्र-संत चन्द्रप्रभ और ललितप्रभ महाराज के दिव्य सत्संग एवं आध्यात्मिक प्रवचनों का भव्य आयोजन 23 सितम्बर, रविवार को प्रातः 9.15 से 10.30 बजे तक मां मांगल्य भवन, योगी नगर सर्कल के पास, मेटरो ब्रिज पिल्लर 195 के सामने, लिंक रोड़, बोरीवली वेस्ट में होंगे।