यहां शांति भवन में विराजित श्री ज्ञानमुनिजी ने कहा कि इस संसार में भाग्य से मनुष्य जन्म जी रहे हैं। सब ग्रन्थ,पंत सभी मनुष्य जीवन को दुर्लभ बताते हंै सभी जीव भी मनुष्य जीवन जीना व जन्म लेना चाहते हैं। इन्द्र सहित अन्य देवतागण भी चाहते हैं कि अगला जन्म किसी जैन श्रावक के घर में हो। सार धर्म सभी को नहीं मिलता है,सभी को जैन कुलीनता नहीं मिलती है।
विश्व में सबसे अच्छा जैन धर्म है। जैन धर्म का सार ज्ञान है। ज्ञान को कोई पार नहीं ज्ञान तो अनन्त है। प्रभु के पास ज्ञान का खजाना है। जितने भी ज्ञान को बांटते हैं घटता नहीं। भगवान का नाम लेने से ही आधी शक्ति मिलती है। जीभ में अमृत भी है जहर भी है।
अच्छे से अच्छे बोलना किसी से कडुवा वचन न बोले। अच्छा बोलो,मीठा बोलो। शब्दो में अमृत बरसाओ। वचन तो रत्न है एक एक शब्द सोचकर बोले। शब्दों को तौलकर बोले। इस अवसर पर एसएस जैन संघ के मंत्री धर्मचन्द छोरलिया ने बताये कि आगामी 18 सितंबर को आचार्य श्री शिवमुनिजी का जन्म दिवस मनाई जाएगी।