चेन्नई. विरुगमबाक्कम स्थित एमएपी भवन में विराजित कपिल मुनि ने कहा भगवान महावीर ने जो सन्देश दिया उसके पीछे प्रसिद्धि पाने की मानवीय दरिद्रता नहीं बल्कि जीव मात्र के उत्थान व कल्याण का पवित्र आशय था। मनुष्य के जीवन का हर क्षेत्र आध्यात्मिक बने इसके लिए जीवन का मूल्य समझना बेहद जरूरी है।
जिनकी दृष्टि में पैसे का मूल्य है उनकी दृष्टि में जीवन का मूल्य नहीं होता। भौतिकवादी दृष्टिकोण जीवन का मूल्यांकन नहीं करने देता है। मुनि ने कहा पुण्य की प्रबलता से ही संत समागम मिलता है। संत समागम से जीवन में परिवर्तन की लहर आती है। परिवर्तन आने पर ही जीवन में पूर्णता और संतुष्टि का अहसास होता है।
इस संसार में जो कुछ भी है उसकी प्राप्ति में ये याद रखना चाहिए की शरीर, सत्ता और संपत्ति सब कुछ उधार मिला है। मिला हुआ कहते ही उसे जो एक दिन मिट और बिछुड़ जाएगा। मिटने वाली चीजों को अमिट मानकर उनके लिए मर मिटना समझदारी का प्रमाण कतई नहीं है। इस संसार में जो प्रेम, अपनत्व, सौहार्द और भाईचारा दिखाई देता है उसका श्रेय महापुरुषों की वाणी को जाता है।
परम्परा से वही सर्वहितकारी वाणी आज संतों के माध्यम से आप तक पहुँच रही है। जब तक उस वाणी को आचार में प्रकट नहीं करेंगे जीवन का कल्याण संभव नहीं है। धर्म के नाम पर कोरे क्रियाकांड कर लेने से मुक्ति नहीं होगी। राग द्वेष की आंच को मंद करके ही जीवन में सरलता और समता आदि सद्गुणों को आत्मसात करने पर ही भव भ्रमण को मिटाया जा सकेगा।
इस मौके पर मुनि ने श्रद्धालुओं को पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व के दौरान अधिकाधिक जप तप की साधना करने के लिए प्रेरित किया। संघमंत्री महावीरचंद पगारिया ने बताया कि मंगलवार से आरंभ पर्युषण पर्व के दौरान प्रतिदिन सवेरे 8.30 बजे से अंतगड़ सूत्रवाचन , 9.15 बजे से प्रवचन, दोपहर 2.30 बजे से विविध धार्मिक प्रतियोगिताएं और सूर्यास्त से प्रतिक्रमण आदि कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित होंगे। साथ ही अष्ट दिवसीय नवकार महामंत्र का 24 घंटे का अखण्ड जाप होगा।