माधावरम् स्थित जैन तेरापंथ नगर के महाश्रमण समवसरण में समायोजित मंगल भावना समारोह के अवसर पर चेन्नई चातुर्मास प्रवास की अंतिम देशना देते हुए आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा कि इक्षु वाटिका होती हैं, उसमें गन्ने लगे हैं, कितनी रमणीय लगती हैं| पर जब गन्ने काट दिये जाते है, तब वह वाटिका अरमणीय लगने लगती हैं| नाटयशाला में नट या नृतक, नृत्य करते हैं, नाटक चलता है, तो रमणीय लगती हैं| नाटक पुरा होते ही नाट्यशाला अरमणीय लगने लगती हैं| हमने माधावरम्, चेन्नई में प्रवास किया, यहां का वातावरण कितना रमणीय हैं| कितने- कितने लोग आते थे, आ रहे हैं| एक धार्मिक वातावरण बना हुआ था| तीनों समय प्रवचन और कितनी – कितनी तपस्याएँ हुई| हमारे विहार करने के बाद भी धर्म का माहौल बना रहे| जो रमणीय माहौल यहां का रहा, चेन्नई शहर भी रमणीय बना रहा| अभी जो रमणीयता हैं, उतनी तो लगभग नहीं रहेगी, पर मन में धार्मिकता के भाव रहे, धर्म की रमणीयता रहे| लोगों में ज्ञान, ध्यान, नैतिकता, धार्मिकता बनी रहे| आप सब ने चातुर्मास का खुब लाभ लिया| विदाई के बाद भी चेन्नई की जनता और तेरापंथी श्रावकों में धार्मिकता के संस्कार पृष्ट रहे, सभी मंगलमय रहे| आचार्य प्रवर ने श्रावक समाज के खमत खामणा के प्रति उत्तर में सभी से खमत खामणा किया|
धार्मिक साधना वाला जा सकता है उच्च गति में
आचार्य श्री महाश्रमण ने राजा प्रदेशी के व्याख्यान के माध्यम से प्रेरणा देते हुए कहा कि गुरु नास्तिक विचार धारा वाले राजा प्रदेशी के प्रश्न के जवाब में प्रतिबोध देते हुए कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने जीवन में धार्मिक साधना करता है, वह उच्च गति में जा सकता है| राजन आप पुजा के लिए तैयार होकर मन्दिर की ओर जा रहे होते हो और बीच में अगर कोई आपको कोई कहे कि आप हमारे शौचालय की तरफ पधारे, तो आप वहां, गन्दगी भरे माहौल में नहीं जाएंगे, उसी तरह आपकी दादी जो धार्मिक विचार वाली थी, स्वर्ग में गई होगी, लेकिन उसे यहां धरती की बदबू आती हैं, इसलिए वह यहां नहीं आती| दूसरे प्रश्न के प्रतिउत्तर में गुरू कहते हैं कि जैसे कोई घोर अपराध करने वाले को राजन् तुम कैद से नहीं छोड़ते हो, उसी तरह तुम्हारे दादा हिंसक वृति वाले थे, हो सकता हैं, वे नरक में पैदा हुए हो, लेकिन वहां के परमाधार्मिक देव, उस जीव को धरती पर नहीं आने देते है| राजन के कई तरहों के प्रश्न के गुरु द्वारा सम्यक् समाधान मिलने पर वह सम्यक्त्व दीक्षा स्वीकार कर, बारह व्रती श्रावक बन, धार्मिक, आस्तिक विचारधारा वाला बन जाता हैं|
लौह वणिक की तरह नहीं बने
आचार्य श्री ने विशेष पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि श्रावक समाज लौह वणिक की तरह नहीं बन कर, हर समय साधना के मार्ग पर आगे बढ़े| सही, सत्य मार्ग के लिए कुल परम्परा को भी छोड़नी पड़े तो छोड़े|
मुनि श्री दिनेश कुमार ने कहा कि ज्ञानी हमेशा जागता है और अज्ञानी सोता है| आचार्य श्री भिक्षु ने आगम के आधार पर कहा था कि निर्जरा के साथ पुण्य का बंध होता हैं| हम इसे समझकर आगे बढ़ेगे, तो जीवन में सफल होगें| भगवान महावीर की वाणी को जनता के सामने प्रकट करते हुए आचार्य श्री भिक्षु ने कहा था, कि धार्मिक क्रिया, शुभ योग से दो कार्य होते हैं – कर्म निर्जरा और पुण्य बंध| मुनि श्री ने कहा कि आचार्य श्री महाश्रमणजी द्वारा प्रदत प्रवचन से हमारे जीवन में निर्जरा और सेवा का विकास हो| मुनि श्री ने विशेष रूप से कहा कि आचार्यों का चातुर्मास कैसा हो, माधावरम् – चेन्नई जैसा हो|
श्रावक समाज ने प्रस्तुत की मंगल भावना
चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री धरमचन्द लूंकड़ ने आचार्य श्री के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए चेन्नई चातुर्मास को सफलतम और ऐतिहासिक बनाने में श्रावक समाज से मिले सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया|
मंगलभावना समारोह में स्वागताध्यक्ष श्री प्यारेलाल पितलीया, महामंत्री श्री रमेशचंद बोहरा, जैन तेरापंथ वेलफेयर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री देवराज आच्छा, अभातेयुप राष्ट्रीय सहमंत्री श्री रमेश डागा, तेयुप अध्यक्ष श्री भरत मरलेचा, मंत्री श्री मुकेश नवलखा, महिला मण्डल अध्यक्षा श्रीमती कमला गेलड़ा, मंत्री श्रीमती शान्ति दुधोड़िया, टीपीएफ अध्यक्ष श्री अनिल लुणावत, अणुव्रती समिति मंत्री श्री जितेन्द्र समदड़िया, अन्य संघीय संस्थाओं से जुड़े श्री रमेश खटेड़, महावीर गेलड़ा, विनोद डांगरा, ललित दुगड़, प्रवीण कोठारी, गौतमचन्द सेठिया, डॉ सुरेश जैन, महेन्द्र संचेती, इन्द्रचन्द डुंगरवाल ने अपनी अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए आचार्य प्रवर के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए आगामी अहिंसा यात्रा की मंगल कामना की| कन्या मण्डल ने मनमोहक प्रस्तुति दी| मदनलाल मरलेचा ने विदाई गीत का संगान किया| वरिष्ठ उपासक श्री जयन्तीलाल सुराणा ने श्रावक – श्राविका समाज के साथ आचार्य प्रवर से चातुर्मास काल के दौरान, किसी भी तरह की हुई, अविनय – असातना के लिए सामूहिक खमत खामणा किया| श्रीमती रतनीदेवी दुगड़ ने आचार्य श्री के श्रीमुख से दस की तपस्या का प्रत्याख्यान किया|
लोगो, बैनर का हुआ अनावरण
बेगंलूर चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री मूलचन्द नाहर, अभातेयुप राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री विमल कटारिया एवं अन्य व्यक्तियों ने बेगंलूर चातुर्मास के लोगो और बैनर का अनावरण करते हुए श्री नाहर ने आचार्य प्रवर से धवल सेना के साथ बेगंलूर पधारने का निवेदन किया|
कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए मुनि श्री दिनेश कुमार ने शनिवार को प्रात: लगभग 08.15 पर चातुर्मासिक विहार करने की सूचना दी|
चातुर्मासिक पक्खी का खमत खामणा
इससे पूर्व प्रात: सूर्योदय के समय साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभा के निर्देशन में सभी साध्वीयों और समणीयों ने आचार्य श्री महाश्रमण, मुख्य मुनिश्री महावीरकुमार एवं अन्य साधुओं से चातुर्मासिक पक्खी सम्बन्धित खमत खामणा किया| सभी साधुओं ने भी साध्वी प्रमुखाश्री एवं अन्य साध्वीयों, समणीयों से खमत खामणा किया| स्वयं आचार्य श्री ने साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभा का अभिवादन करते हुए खमत खामणा किया| इस नयनाभिराम दृश्य को देख सभी कृत कृत हो गये|
*✍ प्रचार प्रसार विभाग
*आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति, चेन्नई
विभागाध्यक्ष : प्रचार – प्रसार
आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति