बेंगलूरु। विश्वविख्यात अनुष्ठान आराधिका एवं शासनसिंहनी साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी के सान्निध्य में यहां वीवीपुरम स्थित महावीर धर्मशाला में श्रमण सूर्य, वरिष्ठ प्रवर्तक मरुधर केसरीश्री मिश्रीमलजी म.सा. की 129वीं तथा लोकमान्य संत, शेरे राजस्थान संतश्री रुपचंदजी म.सा. 95वीं जन्मजयंती के पांच दिववसीय कार्यक्रमों की श्रृंखला के तहत शनिवार को दान दिवस के रुप में मनाया गया।
इस अवसर पर पुण्य की दुकान लगाकर जरुरतमंदों को अनेक प्रकार की सामग्री का वितरण किया गया। रविवार को इसी प्रसंग में संतद्वय जन्मजयंती गुणानुवाद सभा व मासक्षमण की ओर अग्रसर हो रही तपस्वीवृंद श्रीमती कलावती एवं मेहंदी दरड़ा की शोभायात्रा (वरघोड़ा) आयोजित होगी।
गुरु दिवाकर केवल कमला वर्षावास समिति के तत्वावधान में अपने चातुर्मासिक प्रवचन में साध्वीश्री ने कहा कि एक साधक ज्ञान बांटकर अपना ज्ञान बढाता है जबकि श्रावक दान करके अपनी दौलत बढ़ा सकता है। कुमुदलताजी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को अपनी सक्षमता के अनुसार हरसंभव दान करने की सीख दी।
साध्वीश्री ने कहा कि जीवनरुपी घर में व्रत, नियम अर्थात् मर्यादा का दरवाजा होना चाहिए। लक्ष्मण रेखा रुपी मर्यादा को पार कर माता सीता पर भी जब कष्ट आ सकता है तो व्यक्ति को अपने जीवन में मर्यादाओं के उल्लंघन से बचना ही चाहिए।
चातुर्मास पर्व के दौरान विभिन्न प्रकार की तपस्याएं करने वाले श्रावक-श्राविकाओं की अनुमोदना करते हुए साध्वीश्री ने कहा कि तपस्या, दीक्षा भले ही कोई श्रावक-श्राविका ले न सके, लेकिन तपस्वियों की अनुमोदनार्थ समयरुपी दान के साथ आस्था के पुष्प अर्पित कर कर्म निर्जरा करनी चाहिए। ऐसे में तपस्या का दीपक हमारे भी जीवन में प्रज्वलित हो सकता है।
इससे पूर्व साध्वीश्री महाप्रज्ञाजी ने कहा कि परमात्मा की पूजा दो प्रकार से क्रमशः द्रव्य से व भाव से होती है। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर का संदेश है कि द्रव्य पूजा के साथ यदि भाव को भी होना जरुरी है। साध्वीश्री डाॅ.पद्मकीर्तिजी ने शाश्वतसुख की प्राप्ति के लिए सुखविपाक सूत्र के पांचवे अध्याय का वाचन किया।
उन्होंने कहा कि पैर की मोच और छोटी सोच व्यक्ति को आगे नहीं बढ़ने देती है, इसलिए आत्मा को हल्की करने व शाश्वत सुख के लिए गलत चीजों व छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज करना चाहिए। मंच पर साध्वीश्री राजकीर्तिजी भी मौजूद थी।
समिति के महामंत्री चेतन दरड़ा ने बताया कि तपस्या करने वाले श्रावक-श्राविकाओं का अभिनंदन किया गया। उन्होेंने बताया कि जय जिनेंद्र प्रतियोगिता के विजेताओं में क्रमशः रसीला देवड़ा, दीपीका बलगट व सुरेश कोठारी को पुरस्कृत किया गया। चेतन दरड़ा ने बताया कि दोपहर के सत्र में दो बजे से 4 बजे तक प्रतिक्रमण विषयक प्रश्नमंच का आयोजन साध्वीवृंद की निश्रा में आयोजित हुआ।
समिति के सहमंत्री अशोक रांका ने बताया कि दान दिवस के उपलक्ष्य में समिति की महामंत्री मंजू लूंकड़ के नेतृत्व में लोगों द्वारा गैरजरुरती कपडे़ व अन्य सामग्री का एकत्रण कर बड़ी संख्या में जरुरतमंद लोगों को वितरण किया गया। इस अवसर पर साध्वीश्री ने अपनी दिव्य मांगलिक प्रदान की।
समिति के अध्यक्ष केसरीमल बुरड़, कार्याध्यक्ष पन्नालाल कोठारी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष नथमल मूथा, चेतनप्रकाश दरड़ा, गुलाबचंद पगारिया, रमेश सिसोदिया, अशोक धोका व युवा समिति के अध्यक्ष राजेश गोलेच्छा सहित अनेक लोग मौजूद थे।
धर्मसभा का संचालन अशोक कुमार गादिया ने किया। सभी का आभार धर्मेंद्रकुमार मरलेचा ने जताया।
राखी डेकोरेशन 14 को तथा 1008 श्रीकृष्ण दिखेंगे 18 को
महावीर धर्मशाला में साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी की पावन प्रेरणा से 14 अगस्त को रक्षाबंधन के त्योंहार पर दो वर्गों में राखी डेकोरेशन व राखी थाली डेकोरेशन प्रतियोगिता का आयोजन होगा। गुरु दिवाकर केवल कमला वर्षावास समिति के सहमंत्री अशोक रांका ने बताया कि 15 अगस्त को देशभक्ति गीत-गायन तथा 18 अगस्त को जन्माष्टमी पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण की वेशभुषा में फेंसी ड्रेस प्रतियोगिता में 3 से 15 वर्ष तक के करीब 1008 बच्चे शामिल होंगे। अपनी तरह के इस अनूठे और पहली बार आयोजित हो रहे इस कार्यक्रम में श्रेष्ठ प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया जाएगा।