हमारे भाईन्दर में विराजीत उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया आदि ठाणा 7 साता पूर्वक विराजमान हैl वह रोज हमें प्रवचन के माध्यम से नित नयी वाणी सुनाते हैं, वह इस प्रकार हैं
बंधुओं जैसे कि जीवन में तीन चीज व्यक्ति को नसीब से मिला करती हैl अच्छी पत्नी अच्छी संतान और अच्छा मित्र हकीकत तो यह है की पत्नी और संतान से भी ज्यादा अच्छे नसीब होने पर अच्छा मित्र मिलता हैl
पत्नी अच्छी या बुरी मिली है तो इसमें सारा श्रेय या सारा दोष हमारा नहीं हैl पत्नी का चयन परिवार के द्वारा किया गया था उसके चाहने में शायद इतनी बड़ी भूमिका तुम्हारी नहीं थी जीतनीकी तुम्हारे माता-पिता की थी संतान प्राप्ति की देन हैl
वह अच्छी निकलेगी या बुरी इसमें भी हमारा सत प्रतिसत हाथ नहीं है लेकिन मित्रों का चयन व्यक्ति स्वयं करता हैl इसलिए अपने विवेक अपनी प्रज्ञा बुद्धि और सजकता का उपयोग करता है पत्नी और संतान के चयन में किसी की भूमिका रह सकती हैl लेकिन मित्रों का चयन तो हमने स्वयं किया है और मित्र वैसे ही होते हैंl
जैसे हमारा व्यक्तित्व होता है जैसे हमारे विचार होते हैं हमारी सोच होती है मित्रों तो ढाई अक्षर का वह रतन हैl जिसकी महिमा में दुनिया भर के शब्द भी कम पड़ेंगे जिस मित्र हमेशा चरित्र वहां होना चाहिए अगर बुरा मिल गया तो पूरी जिंदगी भी कर सकती हैl पूरे परिवार को दुखी कर देगा व्यक्ति का जैसा नजरिया स्तर होता है मित्र भी वैसा ही होता हैl
इनहीं शुभ भाव के साथ जय जिनेंद्र जय महावीर