एएमकेएम में आठ वार की प्रवचनमाला
एएमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर में चातुर्मासार्थ विराजित श्रमण संघीय युवाचार्य महेंद्र ऋषिजी महाराज ने सात वार की प्रवचनमाला की श्रृंखला में कहा कि वारों का महत्व हमारे जीवन में रहा है, चाहे वह सात वार हो या आठवां वार। आप जब भी कोई कार्य करोगे तो वार का जरुर सोचोगे। चाहे सुख का प्रसंग हो या दुःख का, वार के बारे में सोचोगे। हमारे जीवन में वार की चर्चा होती रहती है।
उन्होंने शनिवार की चर्चा करते हुए कहा कि शनि शब्द सुनते ही हमारे बाल खड़े हो जाते हैं, दिमाग की बत्ती तेज हो जाती है। यदि जीवन में किसी को भी कोई समस्या है तो शनि का ध्यान आता है। शनि उग्र कहलाता है। यह दुःखों की आग लगाता है। यह हमें धीर-गंभीर बनाता है। यह दृढ़ता बढ़ाने वाला है। शनि के नाम से लोग थर्राने लग जाते हैं लेकिन यह हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह हमारी शक्ति का दिग्दर्शन, साक्षात्कार कराता है।
उन्होंने कहा यह हमारे धैर्य की परीक्षा भी लेता है और हमें मजबूत बनाने का कार्य भी करता है। आटा और सब्जी को जब तक आंच नहीं लगती, वे पाचन के योग्य नहीं होते। घर में समस्या यही है कि लाड़ प्यार तो मिलता है लेकिन तपन मिलती ही नहीं। नेचुरोपैथी में तेल, घी नहीं देते लेकिन उसको उबालेंगे जरुर। तपना जरूरी है, ऐसे तो कोई तपता नहीं है। तपन के बिना कोई परिपक्व नहीं होता। परिपक्व यानी चारों ओर से पक्का, तैयार। उग्रता ही तपाती भी है। यदि नहीं तपे तो हमारे भीतर रही हुई शक्ति सही दिशा में आगे नहीं बढ़ती। सोने को आग में तपाने से ही आभूषण बनते हैं। जब आंच लगेगी तो वह पिघलेगा और उसे मोल्ड कर सुंदर बनाने की क्षमता आएगी। इसलिए शनि को बुरा न मानो। उसे बुरा मानकर हम लोगों ने कमजोर बना दिया है। वह तो हमें मजबूत बनाने के लिए आया है।
उन्होंने कहा शनि हमें ग़लत रास्ते पर जाने से रोकता है। वह भीतर में हमारी शक्ति को बढ़ाता है। शनि अपने आप में सोचने का समय देता है। गाड़ी न्यूट्रल में ही सही खड़ी रह सकती है। न्यूट्रल शनि सोचने की, गंभीरता की शक्ति देने वाला है। यह हमें धीरज देने वाला है, सामर्थ्य देने वाला है। इस शनि को अनुकूल बनाने के लिए अनुभवियों ने कहा है कि हमें साधना के रूप में प्रतिपूर्ण या काया क्लेश तप करना है। यदि किसी ने शनि का उपाय बताया तो वह करना ही है लेकिन काया क्लेश, तप भी करना चाहिए। आज लोग यह करने को तैयार नहीं है।
उन्होंने कहा काया क्लेश शरीर को तपाता है। जब भी जीवन में तकलीफ आए तो तप से जुड़ जाओ। जहां आप शरीर को थोड़ा कष्ट दोगे, वहां हमारी समस्या का समाधान हो सकता है। अगर ऐसी स्थिति आए तो ध्यान रखना, किसी प्रकार का डर, घबराहट नहीं रखते हुए अवसर का सदुपयोग करें। यदि हम ध्यान रखेंगे तो हमारा जीवन आनंदमय, मंगलमय हो सकता है। वारों के पीछे रहे हुए रहस्य के दृष्टिकोण का अनुसरण करें। अरिहंत परमात्मा के बालक होकर हमें धीरज नहीं खोना है।