हमारे भाईन्दर में विराजीत उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया आदि ठाणा 7 साता पूर्वक विराजमान हैl वह रोज हमें प्रवचन के माध्यम से नित नयी वाणी सुनाते हैं, वह इस प्रकार हैंl
बंधुओं जैसे कि आज मैं आपको आत्म चिंतन के लिए कुछ सूत्र दूंगा अपनी कमजोरी को पहचानने के लिए जीवन तो बंधन मुक्ति के लिए पाया था पर अब तक जीवन में कितने नए कर्म को बंद चुके हो क्या कोई सूची हैl दलदल से उभरने के लिए आए थे पर गए होते जा रहे हो और इस सत्य को सदा ख्याल में रखना कि अगर ऐसे जीवन जीते रहे तो डाल-डाल से ऊपर तो नहीं उठ पाओगेl एक दो पाव भीतर ही जाओगे मैं तो कहता हूं कि तुम संसार में रहो पति-पत्नी परिवार व्यवसाय में रहो लेकिन तुम्हारे विचार तुम्हारी भावना तुम्हारा चीज मां यह सब संसार के दलदल में नहीं रहने चाहिएl
तुम्हारा मन यदि दलदल में चला गया और तुमने भलेही विवाह न किया हो धन दौलत भी ना हो तब भी तुम उससे बस रहोगे काम क्रोध कसाई यह बाहर कम और व्यक्ति के अंत में अधिक होते हैंl व्यक्ति जब तक भीतर में स्वत होगा बाहर निमित्त मिलने पर उसकी कामनाएं वासनाएं क्रोध लोग सब आते रहेंगेl इसका अर्थ हुआ तुम उसे दिन के की तरह हो जिसे हल्का सा अग्नि का स्पर्श मिला और जलन शुरू हो गयाl तुम्हारी शक्ति इतनी कमजोर हो गई कि छोटा सा निमित्त मिलते ही आवेश पैदा हो जाएl किसी रूपवान को देखकर कामना के बीच फूट पडना हमारे जीवन की कमजोरी है एवं आज हमारे यहां पर धन्ना साली भद्र जी के जाप रखे गएl 99 लकी ड्रा भी रखे गए एवं भक्तांबर के जाप भी चालू है एवं धर्म ज्ञान की गंगा बहती है जप तप आदि चालू हैl
इन्ही शुभ भावो के साथ जय जिनेंद्र, जय महावीर, कांता सिसोदिया, भाईंदरl🌈🌈