बिन गुरु नही जीवन शुरु
यदि में आप से कहूं की चलते फिरते तीर्थ भी होता हैं तो संभवत आपको मेरी बात का यकीन नहीं होगा।
आपने सम्मेतशिखर, शंत्रुजंय, गिरनार, आदि अनेक तीर्थ की यात्रा की होगी पर वे तो स्थिर, अचल है तो फिर चलता फिरता तीर्थ कौनसा…?
चाहिए आपको उनका एड्रेस..?
वह तीर्थ है – *गुरु*
*गुरु* इस दुनिया का वह दिव्य तत्व है, जो जीवन को संवारता है… दिशा और दृष्टि देता है।
भारत विश्व मे पुजा जाता है, विश्व गुरु कहलाता है तो इसका कारण न ताजमहल और कुतुबमिनार की भव्य इमारतें हैं, न वृदांवन गार्डन और एसल वर्ल्ड जैसे मनोरंजन स्थल।
इसमें केवल और केवल त्यागी साधक गुरुओं की साधना और आचरण की पवित्रता ही काम करती है।
# गंगा पाप का,
# चन्द्रमा ताप का
# मंत्र संताप का और
# कल्पवृक्ष अभिशाप का नाश करता है… पर
*गुरु का आशीष और कृपा पूर्ण वात्सल्य इन चारो का नाश करता है।