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ज्ञान वाणी

जीवन पथ प्रशस्त होता हो वही सत्संग है: साध्वी धर्मप्रभा

एमकेबी नगर जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मप्रभा ने कहा सदैव सत्पुरुषों के संग में रहना चाहिए। जिसकी संगत से सत्यता, सात्विकता एवं पवित्रता मिलती हो एवं जीवन पथ प्रशस्त होता हो वही सत्संग है। दुर्जन का संग तो स्वर्ग में भी बुरा ही होता है।

संगति, स्नेह और मैत्री सदैव अच्छे लोगों की ही करनी चाहिए। फूलों के साथ बैठोगे तो सुगंध आएगी एवं गंदगी के पास बैठेंगे तो दुर्गंध और शोलों के पास बैठने से गर्माहट एवं ओलों के पास बैठने पर ठंडक अवश्य मिलेगी।

अच्छे व्यक्तियों का संग चंदन जैसा होता है। साध्वी स्नेहप्रभा ने कहा जैन धर्म में रात्रि भोज का निषेध किया गया है यह बात भगवान महावीर ने ही नहीं बल्कि हिन्दू धर्म, वेद पुराण एवं उपनिषदों में भी कही गई है।

ऋषि मार्कंडेय ने कहा है कि सूर्यास्त के बाद जल सेवन को खून व अन्न सेवन को मांस सेवन के समान बताया गया है।

वैज्ञानिकों के अनुसार भी सूर्यास्त के बाद हमारी जठराग्नि यानी पाचन क्रिया की शक्ति मंद हो जाती है जिससे अजीर्ण हो जाता है और यही बीमारियों की जड़ है। इसलिए रात्रि भोज का त्याग आध्यात्मिक और स्वास्थ्य दोनों दृष्टि से लाभप्रद है।

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