पुदुचेरी. यहां एस.वी.एस जैन संघ में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा धीरे धीरे करके ही मनुष्य के जीवन का व्यवहार बदलेगा। जीवन में जब भी सदगुरुओं का साथ मिले सब कार्य छोड़ देना चाहिए क्योंकि दूसरे काम तो बाद में भी किए जा सकते हैं, लेकिन गुरुओं का सानिध्य दोबारा मिले न मिले, पता नहीं।
इसलिए मनुष्य को कभी भी प्रवचन नहीं छोडऩा चाहिए। एक बार अगर व्याख्यान मन में उतर गया तो समझो जीवन में बदलाव आना संभव है। उन्होंने कहा जिस जीवन को पाने के लिए परमात्मा भी इच्छुक होते हैं वह जीवन मनुष्य को आसानी से मिल गया है। मनुष्य को ऐसे मौके का लाभ लेने से पीछे नहीं हटना चाहिए। संसार की जितनी भी बातें, सुख और सुविधाएं हैं वे सिर्फ एक जीवन के लिए हैं।
उसके बाद मनुष्य अपने कर्मो का फल भोगेगा, लेकिन गुरु भगवंतों की वाणी सुनकर जीवन में बदलाव करने से अनंत भव तक पुण्य मिलता है। उन्होंने कहा मनुष्य आज अगर किसी परेशानी का सामना कर रहा है तो यह सिर्फ उसके पूर्व भव का फल है। अगर मनुष्य इस बात पर चिंतन कर ले तो अपने इस भव को बेहतर बना कर आने वाले भवों को अच्छे बना सकता है।
अगर ऐसा नहीं किया तो जिस प्रकार इस भव में परेशानी आ रही है उसी प्रकार आने वाले भवों में भी दुख भोगना पड़ेगा। खुद की आत्मा को जानने के बाद मनुष्य कभी भी गलत कार्यो में नहीं लगेगा।
जो आत्मा को नहीं जानते वही गलत कार्य करते हंै। उन्होंने कहा अगर खुद का मन मजबूत है तो दुनिया कुछ भी नहीं कर सकती है। लेकिन खुद में अगर किसी प्रकार की मजबूती नहीं है तो लोग सिर्फ हंसेंगे। इस मनुष्य भव को धन्य बनाने के लिए परमात्मा की भक्ति करना चाहिए।