साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा जीवन को अच्छे भावों से ही बदला जा सकता है। इसके लिए जीवन को संपूर्ण रूप से परमात्मा के भक्ति में लगाने की आवश्यकता है। युवाओं में चेतना जागने पर समाज के अंदर अनुठा भाव उत्पन्न होता है। युवा जिस कार्य को हाथ में लेते है निश्चित रूप से उसे पूरा भी करते हैं।
पर्यूषण पर्व मनुष्य को जगा कर परहित करने का संदेश देने के लिए आता है। ऐसे समय को कभी गंवाना नहीं चाहिए क्योंकि परमात्मा की दिव्यवाणी जन-जन के जीवन में अमृत का आलोक भरने वाली होती है। जो भाग्यशाली संसार के कार्य छोड़ कर इसका लाभ लेते है वे अपने जीवन को धन्य और पावन बना लेते है। जैसा मनुष्य का भाव होता है वैसा ही उसके जीवन का निर्माण भी होता है।
प्रवर्तक पन्नालाल की जन्म जयंती पर कहा उन्होंने जहां भी चौमासा किया अपनी छाप छोड़ी। उन्होंने शासन के अंदर लोगों को समर्पित होने की प्रेरणा दी। लोग उनके प्रवचन से काफी प्रभावित होते थे। सभी को उनके दिखाए मार्ग पर चलकर जीवन सफल बनाने का प्रयास करना चाहिए। सागरमुनि ने कहा आचरण आत्मा को परमात्मा बना देता है। बिना तप आराधना के कोई भी आत्मा परमात्मा नहीं बन सकती। पर्यूषण अपनी गलतियां सुधारने का मौका देता है।
गुरु परमात्मा के स्वरूप होते हैं। उनके चरणों में जाकर अपने जीवन के उत्थान का प्रयास करना चाहिए। इससे पहले मुनिगण के सानिध्य में तप, त्याग, दया और धर्म के साथ प्रवर्तक पन्नालाल की जन्म जयंती मनाई गई। उपप्रवर्तक विनयमुनि ने अंतगढ़ सूत्र का वाचन किया। धर्मसभा में संघ के अध्यक्ष आंनदमल छल्लाणी के अलावा उत्तमचंद नाहर, नरेद्र कोठारी, शिवराज खाबिया, निर्मल मरलेचा, पदम सिंघवी, विजयराज दुगड़, गौतम दुगड़ और कमल कोठारी सहित अन्य लोग उपस्थित थे। मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने संचालन किया।