साहूकारपेट, चेन्नई 01.05.2022 : श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा के तत्वावधान में मुनि श्री सुधाकरकुमार के सान्निध्य में ऐतिहासिक चातुर्मास नहीं, जीवन को बनाएं विषय पर श्रावक सम्मेलन का आयोजन हुआ।
विशाल धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री सुधाकरकुमार ने कहा कि हमें जीवन को भार नहीं, अपितु उपहार बनाना चाहिए, उत्सव के रूप में हमें जीवन जीना चाहिए। जीवन में बाधाएं, विपदाएं, समस्याएं आयेंगी, लेकिन हम डिगें नहीं, झुके नहीं, सम्मान पूर्वक उसका सामना करते हुए, आगें निकल जाएं। शिकायतों की अपेक्षा सहयोग को अपनाएं। रिश्तों में मिठास को घोलें।
*नमामी, खमामी और मिच्छामि से जीवन को बनाये सुन्दर*
मुनि श्री ने जीवन को सफलतम बनाने के लिए नमामी, खमामी और मिच्छामि इन तीन सूत्रों का प्रतिपादन करते हुए कहा कि परिवार में, व्यवहार में, समाज में विनम्रता रहनी चाहिए। बड़ों द्वारा डांट दिया जाएं तो भी हमें सामने जवाब नहीं देना चाहिए। क्योंकि कभी कभी उनकी एक डांट भी हमारे जीवन को उच्च शिखर की ओर ले जा सकती हैं। बड़ो के प्रति सम्मान के भाव रहे, विनय के भाव रहे। जीवन अंहकार, ममकार से दूर रहे। आपने तेरापंथ धर्म संघ के उदाहरणों के साथ कहा कि तेरापंथ की आधारशिला हैं – विनम्रता। अंहकार और ममकार के विसर्जन का नाम है – तेरापंथ।
*अंहकार से रहे दूर*
तुलसीदास कृत रामायण में सुन्दरकाण्ड की चर्चा करते हुए प्रेरणा प्रदान की, कि सुन्दरकाण्ड में जीवन को सुन्दर बनाने के सूत्र दिये गए हैं। हनुमानजी द्वारा सीतामाता की खोज के प्रसंगों को बताते हुए बताया कि वर्तमान में हम परिवार, समाज, व्यापार में थोड़ी सी अनुकूल परिस्थितियां आने पर अंहकार में आ जाते हैं कि मैने ऐसा किया, मैं हूँ इत्यादि। यही कर्ता का भाव विनाश का कारण भी बनता है। जबकि सीतामाता द्वारा पुछे जाने पर हनुमानजी ने अपना परिचय देते हुए मात्र इतना ही कहा कि “मैं राम का दूत हूँ” और रामजी के बार-बार कहने पर भी यहीं कहा कि “सीतामाता की मैने नहीं आपने खोज की, मै तो निमित्त मात्र था।”
*गलती की क्षमा मांग कर सरल हृदय बने*
मुनि श्री ने विष्णु भगवान द्वारा सूर्य, चन्द्रमा इत्यादि देवताओं को अमृतपान करवाते समय स्वरभानु राक्षस ने छल से बीच में अमृतपान कर दिया। शिकायत करने पर स्वरभानु का सर धड़ से अलग कर दिया और सर राहू और धड़ केतू कहलाया और वह प्रतिशोध में आया तभी सूर्य और चन्दना पर ग्रहण लगता है, विशेष प्रेरणा देते हुए कहा कि हमें कभी भी अपनी गलती की क्षमा मांग कर सरल हृदय बनना चाहिए।
मुनि श्री नरेशकुमारजी द्वारा गीतिका एवं वक्तव्य के माध्यम से आज के विषय पर बहुत ही सुंदर ढ़ंग से प्रकाश डाला। इससे पूर्व चितांदरीपेट से विहार करके साहूकारपेट भवन पधारे। तेरापंथ सभा अध्यक्ष प्यारेलाल पितलिया, साहुकारपेट ट्रस्ट बोर्ड के प्रबंधन्यासी विमल चिप्पड़, तेरापंथ युवक परिषद् अध्यक्ष मुकेश नवलखा, महिला मंडल अध्यक्षा पुष्पा हिरण, टीपीएफ अध्यक्ष राकेश खटेड, अणुव्रत समिति अध्यक्ष ललित आंचलिया ने अपने वक्तव्य द्वारा मुनिश्रीजी का स्वागत किया।
स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई