हमारे भाईन्दर में विराजीत उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया आदि ठाणा 7 साता पूर्वक विराजमान हैl वह रोज हमें प्रवचन के माध्यम से नित नयी वाणी सुनाते हैं, वह इस प्रकार हैंl
बंधुओं जैसे कि साधे जीवन की वीणा के तार हमारा जीवन वीणा के तारों की तरह वीणा के तारों को साध लिया जाए तो अद्भुत संगीत के जनक हो जाते हैंl अनुपम शांति और अनमोल आनंद का सृजन कर देते हैंl वीणा के तारों को साधने का बहुत अगर हमें नहीं होगा तो कभी हम तारों को ढीला छोड़ देंगे या कभी हम इतना कर देंगे की ध्वनि बिगड़ जाएगीl जीवन के तारों को साधना ही साधना होती है, जीवन की तार शरीर के तार मां के तार परिवार धर्म और समाज के दर हमसे साधने चाहिए मुझे कोई पूछे कि आप दिन भर क्या करते हो तो मैं सिर्फ यही कहूंगी कि आनंद है सांसे तो सास का आनंद हैl तन मन नहीं है तो तन मन का आनंद है समझ ही तो समाज का धर्म है तो धर्म का इंसानियत है तो इंसानियत का दिन दुखी है तो उनके प्रति सहयोग और करुणा का आनंद लेता हूंl
अगर प्रभु ही तो उसे अपनी सांसों में बसा कर आनंद लेता हूं आनंद मेरा स्वभाव है ईश्वर स्वयं आनंद स्वरूप है आनंद में डूबना ईश्वर में डूबना हैl आप अपने आनंद स्वरूप को याद रखिए आनंद बोलना खुद को भूलना हैl खुद के साथ चलाएं जीवन के तारों को ही साधना साधना है एवं आज हमारे यहां पर गुरुवर श्रीसौभाग्य मुनि जी महाराज साहब के पुण्यतिथि के उपलक्ष में 200 से अधिक के एकासना हुए हैl
अन्य शुभ भावों के साथ साथ जय जिनेंद्र जय महावीर🌺🌺🌺🌺