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जीवन के उत्थान में वाणी बहुत आवश्यक: गौरव मुनि

छत्तीसगढ़ प्रवर्तक रतन मुनि जी के सानिध्य में ध्यान तप और त्याग की लड़ी चल रही है आज गौरव मुनि जी महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा जीवन के उत्थान में वाणी बहुत आवश्यकता है वाणी इंसान को जोड़ने का कार्य करती है तो तोड़ने का कार्य भी करती है। इंसान के चरित्र की पहचान वाणी से होती है धन संपत्ति से नहीं। वाणी में हमेशा मधुरता सरलता पवित्रता प्रसन्नता होनी चाहिए।

वाणी में भेदकारी छेदकारी कठोरकारी शब्द नहीं बोलना चाहिए वाणी से व्यक्ति का विश्वास अधिक बढ़ता है। इंसान की कीमत उसके वाणी के द्वारा ही पहचानी जाती है, वाणी ह्रदय के भाव को व्यक्त करती है तो ह्रदय को घाव भी देती है। अपनी वाणी सोच समझकर आदर युक्त व्यक्त करनी चाहिए। वाणी से मनुष्य का अस्तित्व भी आधारित होता है।

आनंद मधुकर रतन भवन की धर्म सभा में लगातार त्याग तपस्या चल रही है। अपनी छोटी सी उम्र में आशीष बंगानी ने 17 उपवास का संकल्प लिया। गौतम लूनावत मैं 15 उपवास और श्रीमती रेना जी पारख की तपस्या जारी है और कई गुप्त तपस्या भी इस आध्यात्मिक चातुर्मास को चार चांद लगा रही है।

आनंद मधुकर के इस प्रांगण में गणधर तप सामूहिक दया एवं पचरंगी सामायिक चौमुखी लोगस्स साधना जारी है। धार्मिक संस्कार शाला मैं महिलाएं बच्चे एवं युवा बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं और चातुर्मास में धार्मिक ज्ञान ध्यान सीख रहे हैं।

नवीन संचेती
प्रचार प्रसार प्रमुख
श्रमण संघ दुर्ग

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