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जीवन की सम्यक व्यवस्था का नाम ही संन्यास: कपिलमुनि

जीवन की सम्यक व्यवस्था का नाम ही संन्यास: कपिलमुनि

शिवाचार्य जन्म जयंती मनाई

चेन्नई. यहां विरुगम्बाक्कम स्थित एमएपी भवन में विराजित कपिलमुनि के सानिध्य व एसएस जैन संघ के तत्वावधान में बुधवार को आचार्य शिव मुनि का 77वां जन्मोत्सव आयम्बिल तप आराधना व ध्यान साधना दिवस के रूप में समारोह पूर्वक मनाया गया।

इस मौके पर कपिल मुनि ने कहा संसार में वस्तु और व्यक्तियों का मेल मिलाप एक संयोग मात्र है जिसका एक न एक दिन वियोग में तब्दील होना तय है। व्यक्ति को इस अल्पकालीन जीवन में जीवन शैली को व्यवस्थित और संतुलित बनाने की दिशा में पुरुषार्थ करना बेहद जरूरी है।

जहां व्यवस्था का अभाव होता है वहां व्यथा पीड़ा क्लेश का जन्म होता है। जीवन की सम्यक व्यवस्था का नाम संन्यास है । ऐसा जीवन ही स्वयं के लिए वरदान और अन्य के लिए प्रेरक व आदर्श बनता है । मुनि श्री ने आचार्य प्रवर डा.ॅ शिवमुनि के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा उनका जीवन एक खुली किताब की भांति है।

वे सरलता और सादगी के पर्याय हैं उनका हृदय कपट के विष से सर्वथा मुक्त है। उनकी कथनी और करनी में एकरूपता है। वे भारतवर्ष में ध्यान साधना का प्रयोग करवाकर युवाओं को स्वस्थ और सुन्दर जीवन जीने की कला सिखाने में सिद्धहस्त हैं। इतने बड़े श्रमण संघ के आचार्य होने के बावजूद उनमें अहंकार नाममात्र का भी नहीं है।

अपने संपर्क और सानिध्य में आने वाले को अपना वात्सल्य देते हुए ध्यान साधना और प्रभु महावीर की आत्म दृष्टि के जागरण की प्रभावी प्रेरणा करते हैं । समूचा श्रमण संघ आप जैसे साधक शिरोमणि को आचार्य के रूप में पाकर गौरवान्वित महसूस करता है ।

मुनि ने शिवाचार्य के स्वस्थ और दीर्घ जीवन की मंगल भावना प्रेषित की। मुनि ने वर्तमान युग में ध्यान की आवश्यकता पर बल देते हुए उपस्थित साधकों को ध्यान के कुछ प्रयोग करवाये।

इस मौके पर कार्यक्रम सहयोगी भंवरलाल कांठेड़ परिवार का संघ द्वारा सम्मान किया गया । संचालन संघमंत्री महावीरचंद पगारिया ने किया।

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