Share This Post

Featured News / ज्ञान वाणी

जीवन की समाप्ति नहीं बल्कि पूर्णाहुति है मृत्यु : कपिल मुनि

जीवन की समाप्ति नहीं बल्कि पूर्णाहुति है मृत्यु : कपिल मुनि

चेन्नई: यहाँ विरुगमबाक्कम स्थित एमएपी भवन में चातुर्मासार्थ विराजित प्रखर वक्ता श्री कपिल मुनि जी म.सा. ने रविवार को वीर प्रभु की अंतिम वाणी पर आधारित प्रवचन श्रृंखला के दौरान कहा कि मृत्यु जीवन का अनिवार्य सत्य है । जन्म के अनंतर ही व्यक्ति के कदम मृत्यु की ओर अग्रसर होने लग जाते हैं ।

इसे चाहे अनचाहे हर प्राणी को एक सच्चाई के रूप में स्वीकारना ही पड़ता है । लाख कोशिश करने के बावजूद भी कोई इसे टालने में समर्थ नही । मगर इसे सुधारा जरूर जा सकता है ।

भगवान महावीर ने मरण के दो प्रकार अकाम मरण और सकाम मरण का प्रतिपादन किया है । लाचारी वश हाय तौबा करते हुए संसार से विदा हो जाना अकाम मरण है । जिसका अंत बिगड़ जाता है उसका अनंत काल भी बिगड़ जाता है परिणाम स्वरूप जीव की भव भव में दुर्गति और दुर्दशा होती चली  जाती है ।  

मुनि श्री ने अकाम मरण पूर्वक मरने वाले व्यक्ति के जीवन की वृत्ति , मति बताते हुए कहा कि जो जीवन यात्रा के दौरान राग द्वेष की ज्वाला में धधकते हैं और संसार के राग रंग , मौज शौक में ही जीवन की सार्थकता मानते हैं , जो  इन्द्रिय विषय सुख पाने की दिशा में दौड़ते रहते है ऐसे लोग का अंत करुणता  का शिकार बन जाता है ।

व्यक्ति को ऐसे मरण को टालने के लिए संयम की चेतना का विकास करना चाहिए ।  और अवस्था के साथ अपनी जीवन व्यवस्था सुनिश्चित करने पुरुषार्थ करना चाहिए । जो व्यक्ति जीवन के प्रत्येक पल को संयम और सादगी से जीता है उसका ही अंतकाल सुधर पाता है । व्यक्ति को जीने की कला का ज्ञान जितना जरुरी है उतना ही जरुरी है मृत्यु की कला सीखना ।

भगवान महावीर धरती पर एक ऐसे महामानव थे जिन्होंने जीने के साथ मृत्यु की कला पर भी जोर दिया ।मृत्यु जीवन की पूर्णाहुति का नाम है समाप्ति का नहीं । मुनि श्री ने कहा कि जीवन जीओ संयम के साथ और मृत्यु का वरण करो संथारा के साथ  । जो लोग जीवन के प्रत्येक पल को संयम और होश पूर्वक जीते हैं ।

उनका जीवन समाधिस्थ होता है। और ऐसे ही पुण्यशाली आत्मा संथारा के गौरवमय पद पर आसीन होने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं । प्रवचन के पूर्व भक्तामर स्तोत्र का सामूहिक पारायण किया गया ।धर्म सभा का संचालन संघ मंत्री महावीर चंद पगारिया ने किया ।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar