चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा मनुष्य को संतों का सानिध्य बहुत ही कठिनाई से प्राप्त होता है। ऐसा मौका अगर मिला है तो पूरे दिल से इसका लाभ उठाना चाहिए। गुरु भगवंतों की वाणी को अगर मनुष्य अपने आचरण में उतारता है तो उसका जीवन कल्याण की ओर बढ़ता है।
जब भी यह अवसर मिले तो समय निकाल का इसका लाभ लेना ही चाहिए।
जीव वाणी हमारे जीवन को प्रकाशित कर देता है। गुरु भगवंतों के सानिध्य में जाने वाला उत्तम पुरुष कहलाता है।
परमात्मा की वाणी सुनने मात्र से जीवन को नया प्रकाश मिलता है। भाग्यशाली लोग ही गुरु भगवंतों के समीप जाकर प्रवचन का लाभ लेते हैं जो बेहतर बनाता है।
परमात्मा की भक्ति के समय लोगों को मन में उल्लास रखनी चाहिए। ऐसा करने से जीवन में अनेक प्रकार की अनुभूति होती है।
सागरमुनि ने कहा व्यक्ति को अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का लगातार प्रयास करते रहना चाहिए। प्रकाश में जाने से पहले अंधकार को भी जानने की जरूरत होती है, तभी प्रकाश का असली मतलब पता चल पाएगा।
व्यक्ति जो सुनता है जो देखता है वो भूल जाता है लेकिन जो करता है वह उसके आचरण में आ जाता है। आचरण से किया गया कोई भी काम व्यर्थ नहीं जाता। जीवन में सफल होने के लिए जो भी करें उसे ध्यान से करके आचरण में उतारने की कोशिश करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि विद्वान व्यक्ति का तो सम्मान होता है। लेकिन चारित्रवान व्यक्ति का सम्मान के साथ अनुसरण भी होता हैं। हमे विद्वान नहीं बल्कि चारित्रवान बनने की कोशिश करनी चाहिए।