जालना : अहंकार का नाश होगा तो करुणा की गंगा बहेगी, यही सृष्टि का नियम है और हम पर भी लागू होता है. हर कोई मोक्ष प्राप्त करना चाहता है, लेकिन क्या यह संभव है? इस जीवन में कोई निश्चितता नहीं है, यह कब समाप्त होगा, यह भी कहा नहीं जा सकता, इसलिए अच्छे कर्म करो| डॉ. श्री. गौतम मुनिजी म.सा. उन्होंने यहां बात की| वे गुरु गणेश नगर के तपोधाम में चातुर्मास के अवसर पर आयोजित प्रवचन को संबोधित कर रहे थे| इस समय आदरणीय वैभवमुनिजी म. सा; उपदेश प्रभावक श्री| दर्शन प्रभाजी म. सा; सेवाभावी श्री गुलाबकंवरजी म. सा; सेवाभावी श्री हर्षिताजी म. सा. यह मौजूद थे|
आगे बोलते हुए, डॉ. श्री. गौतम मुनिजी म. सा. उन्होंने कहा कि अच्छी पत्नी मिलेगी तो परिवार अच्छा चलेगा| आंतरिक वातावरण प्रदूषित नहीं होता है| लेकिन अगर वही पत्नी राक्षसी स्वभाव की पाई जाए तो घर नहीं चलेगा| यह सृष्टि का नियम है और यह सभी पर लागू होता है| सभी को अहंकार का त्याग करना चाहिए| अहंकारी जीवन जीने का क्या मतलब है? करुणा, माया जीवन में रंग लाती है| माया नहीं है तो वह जीवन व्यर्थ है| अच्छे दोस्त बनाएं, यह आपकी समस्याओं को हल करने में मदद करता है| अगर दोस्त अच्छे नहीं हैं तो हमारी जिंदगी भी बर्बाद हो जाती है| आप किसे दोष देने जा रहे हैं? अपने दिल की भी सुनो| मन की सुनने से बहुत से प्रश्न सुलझ जाते हैं| इस समय, डॉ| गौतम मुनिजी म. सा; द्वारा किया गया।
इससे पहले, परम पावन वैभवमुनिजी म. सा. कल के विषय पर संक्षेप में परामर्श करने के बाद, उन्होंने टिप्पणी की कि यह सबसे अच्छा है| उन्होंने कहा कि चोरी करना, चोर का साथ देना, यह चरित्र विशेषता हमेशा खराब होती है! इसकी आदत नहीं पड़नी चाहिए| चोरी सिर्फ जीएसटी तक ही सीमित नहीं है, कुछ भी हो सकती है| जिस तरह उसकी मदद करना बुरा है, उसी तरह वह उसे किए बिना उसकी ओर आकर्षित होती है| इसलिए चोर से चार हाथ दूर रहने में ही भलाई है ! यदि आप परमेश्वर के वचनों को सुनते हैं, तो कई प्रश्न अपने आप हल हो जाएंगे| अच्छा व्यवहार करना और अच्छे कर्म करना हमेशा अच्छा होता है| ईसा पूर्व वैभवमुनिजी एम. सा कहा| इस समय श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के पदाधिकारी, श्रावक-श्राविका बड़ी संख्या में उपस्थित थे|