चेन्नई. तांबरम जैन स्थानक में प्रवचन देते हुए साध्वी धर्मलता ने कहा कि आलस्य और प्रमाद जीवन के सबसे बड़े शत्रु हैं। उन्होंने आगे कहा कि आदमी आज समय की बचत करना तो सीख गया है लेकिन उस बचे हुए समय का सदुपयोग करना नहीं सीखा। समय का सदुपयोग करके आदमी उच्चकोटि का साधक बन सकता है। उन्होंने समय का महत्व समझाते हुए कहा कि समय देकर पैसा तो कमाया जा सकता है किंतु पैसा देकर समय नहीं कमाया जा सकता। धनुष से निकला तीर और बीता समय वापस नहीं आता।
जीवन का सबसे बड़ा शत्रु है आलस्य: धर्मलता
