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ज्ञान वाणी

जीवन का उत्थान व पतन मनुष्य के हाथ में

जीवन का उत्थान व पतन मनुष्य के हाथ में

चेन्नई. गुरु वाणी का अनुसरण करने वाले हर दुखों से मुक्त हो जाते है। संतो का समागन प्राप्त होने पर पिछे नहीं जाना चाहिए। पूरी जिंदगी मनुष्य संसार के लिए बिता दे तो जीवन का कोई लाभ नहीं मिलता है। सचमुच में जो इन बातों को समझ लेते हैं वहीं आगे जा पाते है।

साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने रविवार को कहा कि आत्मा अपने सदगुणों से महान और अपनी बुराईयों से निचे गिरता है। मनुष्य को दूसरा न कोई बनाने बाला होता है और नहीं ही कोई गिराने वाला होता है। ज्ञानी कहते है जब मनुष्य सत्य की प्रवृत्तियों का आचरण करता है तो वह स्वयं ही परमात्मा के मार्ग पर चल कर जीवन में बदलाव कर लेता है।

उन्होंने कहा कि जब मनुष्य किसी बुराई या गलत आचरण करता है तो अपने हाथों से ही पतन का निर्माण करता है। जीवन का उत्थान और पतन दोनों ही मनुष्य के हाथों में होता है। मनुष्य उत्थान कर जीवन से जो लाभ लेना चाहे ले सकता है। वहीं लगातार पाप कर जीवन का पतन भी कर सकता है। उन्होंने कहा जो भाग्यशाली आत्मा इस बात को अच्छी तरह से समझ लेते हैं वे भुल कर भी किसी का बुरा नहीं सोचते। धर्म के मार्ग पर चलने वाला मनुष्य आत्मा के पतन वाली बातों को भुल से भी नहीं करता। ऐसे उत्तम मानव जीवन को परम पावन बनाने के लिए परमात्मा की वाणी में लग कर सार्थक और सफल बनने की आवश्यक्ता है।


उन्होंने कहा कि माता पिता के अंतिम छण में सहयोग करने वाले पुत्र धन्य होते है। धर्म के लिए मनुष्य को हमेशा प्रेरित करने का प्रयास करना चाहिए। ऐसा करके ही मानव जीवन को सफल और सार्थक किया जा सकता है।

सागरमुनि ने कहा कि अपने जीवन को सदगुणों से सजाने के लिए गुरु चरणों में समर्पित होने की जरुरत है। परमात्मा की भक्ति में लगने का मौका मिले तो इसे कभी नहीं खोना चाहिए। जीवन में अगर दया अहिंसा और धर्म नहीं है तो सब बेकार है। मनुष्य को ऐसे मार्गो का अनुसरण कर जीवन में प्रकाश करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपने आचरण से उपदेश देकर परमात्मा ने मानव जीवन पर अनंत उपकार किए हैं। ऐसे में उनके दिखाए मार्गो का अनुसरण कर जीवन में बदलाव लाने का प्रयास करना चाहिए। तभी जीवन सुख मय बन पाऐगा।

इससे पहले तीन तीन सामायिक आराधना के साथ उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि का जन्म दिवस मनाया गया। इस मौके पर बेंगलुरु और सुरत सहित कई अन्य राज्यों के लोग उपस्थित थे। विनयमुनि ने प्रवीण ऋषि के उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हुए महामांगलिक दिया। इस दौरान पर संघ के अध्यक्ष आनंमल छल्लाणी, उपाध्यक्ष नरेंद्र कोठारी, पंकज कोठारी, महावीर लुणावत, प्रवीण नाहर और प्रवीण चौड़ढिय़ा सहित अन्य लोग उपस्थित थे। संचालन मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने किया। कोषाध्यक्ष गौतमचंद दुगड़ ने बताया कि मंगलवार को विनयमुनि और गौतममुनि के सानिध्य में जप, तप के साथ युवाचार्य महेन्द्र ऋषि की जन्म जयंति मनाई जाएगी। संघ के सभी कार्यकर्ता उसकी तैयारी में जुटे हुए है।

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