10 मार्च पाली जिस धर्म मे अहिंसा और दया नही वह धर्म नही हो सकता संत शिरोमणी प्रवर्तक सुकनमुनि महाराज ने आचार्य श्री रघुनाथ स्मृति जैन भवन मे आयोजित धर्मसभा को सम्बोधित करते हुये कहा कि जीवों की रक्षा वहीं कर सकता जिसके मन मे दया करूणा की भावना होगी वह व्यक्ति ही जीवों की पीड़ा को दुर करने वाला ही अहिंसा धर्म का पालन करते हुए अपनी आत्मा निर्मल और पवित्र बना पाएगा !
अखिलेश मुनि वरूणमुनि ने हिंसा के मार्ग पे चलने वाले इंसान की आत्मा को संसार से कभी भी मुक्ति नहीं पा पाएगी अहिंसा और दया धर्म से ही संसार आत्मा मुक्त हो सकती हैं! धर्मसभा मे उपप्रवर्तक अमृत मुनि,विदुषी आनन्द प्रभा ,महासाध्वी इन्दुप्रभा डॉक्टर दर्शनप्रभा साध्वी मनीषा पूवाश्री आदि संत साध्वीयो की उपस्थिति मे वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष धनराज काठेंड़ उपाध्यक्ष सज्जनराज गोलेच्छा, सहमंत्री सम्पतराज तातेड़,पदम ललवाणी,हुक्मीचन्द्र संचेती,प्रकाश कटारिया शरबत पगांरिया,मनमोहन गांधी,सम्पत पारख,लाभचन्द्र बोहरा आदि पदाधिकारियों ने अतिथियों मे अशोक कुमार विमल कुमार रांका और मुकेश नाहर का शोल माला पहनाकर अभिनन्दन किया गया !
12 मार्च शनिवार को प्रातः नौ बजे आचार्य श्री रघुनाथ स्मृति जैन भवन मे संतो और साध्वी मंडल के सानिध्य मे समारोहों मे नवदिक्षिता संयमसुधा साध्वी को बड़ी दीक्षा दि जायेगी !