आज के समय में कई बार धार्मिक समारोह में लोग मंदिर में भगवान की प्रतिमा विराजमान कराने की 11 लाख या एक करोड़ बोलियां ले लेते हैं परंतु घर में जीते जागते मां-बाप की प्रतिष्ठा कराने वाले पुण्य आत्माएं कम होती हैं। जिस देश में ‘मातृ देवो भव, पितृ देवो भव’ का संदेश दिया जाता रहा है, उसी देश में आज सबसे अधिक वृद्धाश्रम खुल रहे हैं। यह विचार डॉ. वरुण मुनि ने जैन भवन, साहुकारपेट में ‘पर्युषण पर्व’ की आरधना करते हुए व्यक्त किए। श्रीमद् अन्तकृत दशा सूत्र की वाणी को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा श्री कृष्ण वासुदेव ने जब देखा कि- मां दु:खी है, परेशान है, तो उन्होंने सब काम छोड़ दिए। पहले मां की चिंता दूर हो, इसका उन्होंने प्रयास किया। आप प्रभु राम का जीवन देखें – प्रात: उठकर सबसे पहले वे माता पिता व गुरुजनों को प्रणाम करते थे। तत्पश्चात कुछ अन्य काम करते। आज के युवाओं या बच्चों को पूछें मां-बाप को प्रणाम करते होते तो उत्तर – मिलता है, महाराज शर्म आती है। अरे जिन्होंने जन्म दिया, पाल-पोसकर बड़ा किया उनके सामने झुकने में शर्म? शर्म करो-उनके सामने जुबान चलाने में, शर्म करो उन पर चिल्लाने में। झुकने में क्या शर्म…? आप झुकेंगे तो उनकी दुआएं मिलेंगी और उनके आशीर्वाद में वो ताकत है कि – आपके दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल देंगी।
जल्दी-जल्दी कोई भी बेटा-बहू मां-बाप या सास-ससुर से अलग नहीं होना चाहते परंतु कभी- कभी उनकी जरूरत से ज्यादा टोका टाकी, उन्हें ऐसा करने पर मजबूर कर देती है। आज समय बदल रहा है। सोच बदल रही है, अत: मां-बाप व सास-ससुर को भी बिना कारण ज्यादा कठोर व्यवहार बच्चों के प्रति नहीं रखना चाहिए। कई बार हर समय बड़ों की टोका-टाकी भी बच्चों के मन में आपके प्रति दूरियां पैदा कर देती है।
श्रीसंघ के उपाध्यक्ष एम. हरीश कुमार कांकरिया एवं पृथ्वीराज बागरेचा ने बताया कि रूपेश मुनि दोपहर 2 से 3 बजे तक कल्प सूत्र का वांचन बहुत ही रोचक ढंग से प्रस्तुत कर रहे हैं। भगवान महावीर जन्म कल्याणक की वंाचना 28 अगस्त दोपहर 2 से 4 बजे एक विशेष नाटिका के रूप में प्रस्तुत की जाएगी तथा जय संस्कार महिला मंडल, महावीर महिला युवती मंडल एवं श्री एस. एस. जैन संस्कार मंच महिला शाखा की ओर से भगवान महावीर जन्म कल्याणक पर विशेष प्रभावना की जाएगी।