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जिस घर में प्रेम का वास है, वहां धन और यश दौड़े दौड़े आते हैं : राष्ट्रसंत श्री ललितप्रभ जी

जिस घर में प्रेम का वास है, वहां धन और यश दौड़े दौड़े आते हैं : राष्ट्रसंत श्री ललितप्रभ जी

प्रवचन से प्रभावित होकर अनेक सगे भाइयों ने एक-दूसरे को लगाया गले, माहौल हुआ भावपूर्ण

दुर्ग 4 जुलाई। राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ सागर जी महाराज ने कहा कि किसी भी घर की ताकत दौलत और शौहरत नहीं, प्रेम और मोहब्बत हुआ करती है। प्रेम के बिना धन और यश व्यर्थ है। जिस घर में प्रेम है वहाँ धन और यश अपने आप आ जाता है। उन्होंने कहा कि जहां सास-बहू प्रेम से रहते हैं, भाई-भाई सुबह उठकर आपस में गले लगते हैं और बेटे बड़े-बुजुर्गों को प्रणाम कर आशीर्वाद लेते हैं, वह घर धरती का जीता-जागता स्वर्ग होता है। उन्होंने कहा कि अगर भाई-भाई साथ है तो इससे बढ़कर माँ-बाप का कोई पुण्य नहीं है, और माँ-बाप के जीते जी अगर भाई-भाई अलग हो गए तो इससे बढ़कर उस घर का कोई दोष नहीं है।

संतप्रवर सोमवार को सकल जैन समाज द्वारा जिला कचहरी के पीछे स्थित ऋषभ नगर मैदान में आयोजित चार दिवसीय जीने की कला प्रवचन माला के तीसरे दिन हजारों सत्संग प्रेमी भाई बहनों को घर को कैसे स्वर्ग बनाएं विषय पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर आप संत नहीं बन सकते तो सद्गृहस्थ बनिए और घर को पहले स्वर्ग बनाइए। जो अपने घर-परिवार में प्रेम नहीं घोल पाया वह भला समाज में क्या प्रेम रस घोल पाएगा? जो अपने सगे भाई को सहारा बनकर ऊपर उठा न पाया, वह समाज को क्या ऊपर उठा पाएगा? मकान, घर और परिवार की नई व्याख्या देते हुए संतश्री ने कहा कि ईंट, चूने, पत्थर से मकान का निर्माण होता है, घर का नहीं। जहाँ केवल बीबी-बच्चे रहते हैं वह मकान घर है, पर जहाँ माता-पिता और भाई-बहिन भी प्रेम और आदरभाव के साथ रहते हैं वही घर परिवार कहलाता है। चुटकी लेते हुए संतश्री ने कहा कि लोग सातों वारों को धन्य करने के लिए व्रत करते हैं, अच्छा होगा वे आठवां वार परिवार को धन्य करे, सातों वार अपने आप सार्थक हो जाएंगे।

राष्ट्र-संत ने कहा कि हम केवल मकान की इंटिरियर डेकोरेशन पर ही ध्यान न दें, अपितु मकान में रहने वाले लोगों के बोलचाल और बर्ताव सब कुछ सुन्दर हो। उन्होंने माता-पिता को बुढ़ापे में सम्हालने की सीख देते हुए कहा कि जीवन भर वे हमारा पालन पोषण करते हैं, हममें ही अपना भविष्य देखते हैं अपनी सारी शक्ति और औकात हमारे लिए लगाते हैं, अगर वे सरकारी कर्मचारी हैं, तो रिटायर्ड होने पर आने वाली एक मुश्त राशि भी हम पर खर्च करते हैं और मरने के बाद भी अपना सारा धन और जमीन जायजाद बच्चों के नाम करके जाते हैं और स्वर्ग चले जाएँ, तो भी वहाँ से आशीर्वाद का अमृत अपने बच्चों पर बरसाते हैं।

राष्ट्र-संत ने हर श्रद्धालु को पारिवारिक प्रेम के प्रति मॉटिवेट करते हुए कहा- अकेले हम बूँद हैं, मिल जाएँ तो सागर हैं। अकेले हम धागा हैं, मिल जाएँ तो चादर हैं। अकेले हम कागज हैं, मिल जाएँ तो किताब हैं। अकेले हम अल्फाज हैं, मिल जाएँ तो जवाब हैं। अकेले हम पत्थर हैं, मिल जाएँ तो इमारत हैं। अकेले हम हाथ हैं, मिल जाएँ तो इबादत हैं।

घर को मंदिर बनाने की प्रेरणा देते हुए संतश्री ने कहा जहां हम आधा-एक घंटा जाते हैं, उसे तो मंदिर मानते हैं, पर जहाँ 23 घंटे रहते हैं उस घर को मंदिर क्यों नहीं बनाते हैं। उन्होंने कहा कि घर का वातावरण ठीक नहीं होगा तो मंदिर में भी मन में शांति नहीं रहेगी पर हमने घर का वातावरण अच्छा बना लिया तो हमारा घर-परिवार ही मंदिर-तीर्थ बन जाएगा।

संतश्री ने कहा कि घर का हर सदस्य संकल्प ले कि वह कभी किसी का दिल नहीं दुरूखाएगा। हम किसी के आँसू पौंछ सकते हैं तो अच्छी बात है, पर हमारी वजह से किसी की आँखों में आँसू नहीं आने चाहिए। अगर हमारे कारण माता-पिता की आँखों में आँसू आ जाए तो हमारा जन्म लेना ही बेकार हो गया। उन्होंने कहा कि हमसे धर्म-कर्म हो तो अच्छी बात है, पर ऐसा कोई काम न करें कि जिससे घर नरक बन जाए।

घर को स्वर्ग बनाने के लिए संतश्री ने कहा कि घर के सभी सदस्य एक-दूसरे के काम आए। घर में सब आहूति दें। घर में काम करना यज्ञ में आहूति देने जितना पुण्यकारी है। संतश्री ने घर को स्वर्ग बनाने के सूत्र देते हुए कहा कि घर के सभी सदस्य साथ में बैठकर खाना खाएं, एक-दूसरे के यहाँ जाएं, सुख-दुरूख में साथ निभाएं, स्वार्थ को आने न दें, भाई-भाई को आगे बढ़ाए, सास-बहू जैसे शब्दों को हटा दें। जब बहू घर आए तो समझे बेटी को गोद लिया है और बहू ससुराल जाए तो सोचे मैं माता-पिता के गोद जा रही हूँ।

प्रवचन से प्रभावित होकर जब अनेक सगे भाइयों और देवरानी जेठानी आने एक दूसरे को आपस में गले लगाया तो माहौल भावपूर्ण हो गया। इस दौरान संत प्रवर ने आओ कुछ ऐसे काम करें जो घर को स्वर्ग बनाएं, जो टूट गए हमसे रिश्ते उनमें हम सांध लगाएं…भजन गुनगुनाया तो श्रद्धालु आनंद विभोर हो गए।

इस दौरान डॉ मुनि शांतिप्रिय सागर जी महाराज ने कहा कि अगर हम संयमित सात्विक शुद्ध और ताजा भोजन लेंगे तो कभी बीमार नहीं पड़ेंगे। 50 प्रतिशत बीमारियां भोजन की गड़बड़ी के कारण ही होती है। आगम और आयुर्वेद के अनुसार भोजन में तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए – हितकारी भोजन, सीमित भोजन और ऋतु के अनुसार भोजन हो। हमें नाश्ते में मौसम के भरपेट फल खाने चाहिए, दोपहर में सब्जी रोटी दाल चावल सलाद और छाछ लेना चाहिए और शाम को जूस सूप दलिया या खिचड़ी आदि हल्का-फुल्का भोजन करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भोजन करने से पहले मुस्कुराएं, प्रभु का स्मरण करें, बड़े हुए नाखून काट लें और सब को भरपेट भोजन खाने को मिले ऐसी प्रार्थना करें। भोजन करते हुए भूख से थोड़ा कम खाएं, पौष्टिक भोजन लें, मिल बांट कर खाएं और उग्र प्रतिक्रिया न करें। भोजन की थाली में झूठा न छोड़ें। उतना ही लें थाली में कि व्यर्थ न जाए नाली में। भोजन के बाद खाली धोकर के रखें। 1 घंटे तक पानी ना पिए भोजन बनाने वाले को धन्यवाद दें और भोजन के परिणाम पर गौर करें। भोजन के कारण कब्ज एसिडिटी न हो और मोटापा न बढ़े इसका विशेष ध्यान रखें क्योंकि कब्ज और मोटापा सैकड़ों रोगों का कारण है।

उन्होंने कहा कि अगर हम अधिक भोजन, भारी भोजन, जंक फूड और फास्ट फूड का लगातार सेवन करेंगे तो हमारे आंतों की झिल्ली में छेद होने शुरू हो जाएंगे जिससे हमारा ब्लड जहरीला होगा और परिणाम हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि स्वस्थ रहने का सार मंत्र है अन्न को लो आधा, सब्जी और फल को लो दुगुना, पानी पियो तिगुना और हंसी को करो चौगुना।

उन्होंने कहा कि स्वस्थ जीवन का मालिक बनने के लिए बैठकर भोजन पानी लें, खाना चबा चबा कर खाएं, बार-बार खाने की आदत बंद करें, बाजार की चीजों से परहेज रखें, फल और सब्जियां धोकर के काम लें, नशा और मांसाहार का त्याग करें, खाने पीने की चीजों को पॉलीथिन में न रखें, खाली पेट चाय न पिएं, ज्यादा ठंडा और ज्यादा गर्म पेय न लें, डेरी प्रोडक्ट मर्यादा में खाएं, रोज पांच तुलसी या नीम के पत्ते चबाएं, सोने से 4 घंटे पहले भोजन का त्याग करें।

उन्होंने कहा कि तीन सफेद जहर है मैंदा, नमक और शक्कर। इसकी बजाय मोटा आटा, सेंधा या काला नमक और गुड या देसी शक्कर का उपयोग करें। तीन लाल जहर है – चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक और तीन लिक्विड जहर है – रिफाइंड तेल, वनस्पति घी और शराब इनका त्याग कर शुद्ध देशी चीजों का सेवन करें।

उन्होंने कहा कि हमारे शरीर में 70 प्रतिशत भाग पानी होता है। अगर शरीर में पानी कम हो जाए तो खून गंदा हो जाता है जिससे किडनी में पथरी, जोड़ों में दर्द, हार्ट में ब्लॉकेज, बालों का गिरना और चेहरे पर दाग जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। इस तरह के रोगों का समाधान करने के लिए दवाई लेने की बजाय हमें पर्याप्त पानी पीना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुबह उठने के बाद खाली पेट दो-तीन गिलास गुनगुना पानी जरूर पिएं इससे पेट की सफाई अच्छे से होती है। खड़े-खड़े और जल्दी जल्दी पानी पीने की बजाय बैठकर और धीरे-धीरे पानी पिएं इससे हमारा पाचन तंत्र और रक्त स्वस्थ रहता है। उन्होंने कहा कि मल मूत्र और पसीने से शरीर से लगभग 2 लीटर पानी निकल जाता है अतः हमें दिन में 2 से 3 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए। एक बार में एक या दो गिलास से ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिए, पानी पीने के बाद दोबारा पानी पीने में 45 मिनट का अंतर रखना चाहिए, भोजन से आधा घंटा पहले और डेढ़ घंटा बाद ही पानी पीना चाहिए अन्यथा भोजन का पाचन बिगड़ जाता है। रात को ज्यादा पानी पीने से नुकसान होता है।

उन्होंने कहा कि सर्दी में तांबे के घड़े का और गर्मी में मिट्टी के घड़े का पानी पीना चाहिए। फ्रिज का पानी, बर्फ मिला हुआ ठंडा पानी जहर की तरह है जिससे पेट, हृदय और मस्तिष्क की क्षमता प्रभावित हो जाती है। कभी भी गर्म पेय प्लास्टिक या थर्माकोल में न पिएं। उन्होंने कहा कि गर्म पानी से नहाने की बजाए नॉर्मल या ठंडे पानी से नहाना चाहिए इससे चेहरे की चमक सदा बनी रहती है और हमें पानी बचाने के लिए सदा जागरूक रहना चाहिए। कभी भी व्यर्थ पानी न बहाएं क्योंकि जल है तो कल है।

कार्यक्रम में संघ के अनेक सदस्य विशेष रूप से उपस्थित थे। मंच संचालन और संतों का स्वागत आभार अध्यक्ष महेंद्र दुग्गढ़ ने किया।

कैसे बनाएं जीवन को मालामाल पर मंगलवार को सुबह 9:00 बजे ऋषभ नगर मैदान में होंगे विशेष प्रवचन और सत्संग – मंगलवार को सुबह 9:00 बजे ऋषभ नगर मैदान में कैसे बनाएं जीवन को मालामाल विषय पर विशेष प्रवचन और सत्संग का आयोजन होगा

आज धर्म सभा में श्री सोन करण जी राजेंद्र कुमार मारोठी परिवार द्वारा पूरे जनसमूह को प्रभावना वितरित की गई

आज की प्रवचन श्रृंखला में सकल जैन समाज के अध्यक्ष मदन जैन राजेंद्र मारोठी पूर्व विधायक लाभचंद बाफना ,पूर्व मंत्री रमशीला साहू, पूर्व विधायक दयाराम साहू, पूर्व महापौर चंद्रिका चंद्रकार, शिव चंद्रकार ज्ञानचंद कोठरी, संतोष लोढ़ा, प्रवीण लोढ़ा ,कांतिलाल बोथरा , पदम बरडिया, मनीष बोथरा, अमृत लोढ़ा, मनीष दुग्गड़ , राजेश बुरड़ विनोद तातेड़ , दीपक चोपड़ा , निर्मल लोढ़ा , नरेंद्र चोपड़ा , प्रवीण बोथरा  देवीचंद दुग्गड़, टीकम चोरडिया, योगेश बरडिया। 6 जुलाई का गुरुदेव श्री का आध्यात्मिक प्रवचन वैशाली नगर जैन मंदिर में रहेगा।

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