चेन्नई. ताम्बरम में विराजित साध्वी धर्मलता ने प्रवचन में तप का अर्थ बताते हुए कहा जिस कार्य से कर्मों को तपाया जाए वही तप है, इच्छाओं पर नियंत्रण करना तप है।
उन्होंने कहा तप एक लिफ्ट के समान है जो एक मंजिल से दूसरी मंजिल की ओर ले जाती है और अंत में जीवात्मा मोक्ष की सिद्धि पर आरूढ होकर भव भ्रमण से मुक्ति प्राप्त करता है।
साध्वी ने कहा तप एक रामबाण औषधि है जिससे बड़े-बड़े रोग भी मिट सकते हैं। कर्म रूपी मैल से आत्मा को शुद्ध करने की ताकत तपस्या में ही है। तप से कभी निदान नहीं करना चाहिए।