जैन भवन, साहुकारपेट में पंकज मुनि के सान्निध्य में पर्यूषण पर्व की मची धूम
चेन्नई. प्रतिवर्ष आप कल्प सूत्र में भगवान महावीर का जीवन चरित्र सुनते हैं कि कैसे ग्वाले ने उनके कानों में कीलें ठोक दिए। श्री मद् अन्तकृत दशा सूत्र में वर्णन आता है कि गजसुकुमाल महामुनि के सिर पर अंगारे रख दिए गए पर फिर भी उन्होंने किसी को कुछ कहना तो दूर, मन में लेश मात्र भी द्वेष भाव न लाए। पर अगर हमें कोई कड़वे बोल बोल दे, तो हम सहन नहीं कर पाते। यह विचार ओजस्वी प्रवचनकार डॉ. वरुण मुनि ने पर्युषण पर्व के तीसरे दिन अभिव्यक्त किए। हजारों की संख्या में उपस्थित विशाल जन मेदिनी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा हर व्यक्ति को इस बात का ज्ञान है कि क्रोध करना बुरा है। फिर भी 100 में से 90त्न लोग गुस्सा करते ही हैं। परंतु जब-जब आप क्रोध करते हैं तो काम बनने की अपेक्षा बिगड़ता ही है। क्रोध के द्वारा तन की, मन की, आत्मा की हानि ही होती है। क्रोधी व्यक्ति को न ठीक से भूख लगती, न ठीक से नींद आती है।
क्रोध जब आता है तो अंधा बना देता है और जब जाता है तो शर्मिंदा कर जाता है। क्रोध में आदमी को पता ही नहीं चलता क्या करना क्या नहीं। बाद में पश्चाताप करता है – मुझे ऐसा बोलना नहीं चाहिए था। कई बार किसी रिश्ते को बनाने में 10 साल लग जाते हैं परंतु 10 मिनट का क्रोध उस रिश्ते को तोड़ देता है। पूज्य गुरुदेव ने क्रोध को जीतने के कुछ पै्रक्टिकल उपाय भी बताए। इसी के साथ उन्होंने बताया कि अपने से बड़ों पर कभी क्रोध न करें। जिसने आपके जीवन पर उपकार किया, उसपे क्रोध न करें। भोजन करते समय, भोजन बनाते समय भी क्रोध नहीं करना चाहिए अन्यथा भोजन जहर बन जाता है और रात को सोने से पहले भी कभी क्रोध न करें।
श्री संघ के मंत्री महीपाल चोरडिय़ा व भरत नाहर ने बताया कि उपप्रवर्तक गुरुदेव पंकज मुनि की असीम कृपा से जैन भवन,साहुकारपेट में पर्युषण पर्व की धूम मची हुई है। प्रतिदिन सैकड़ों-हजारों की संख्या में भाई-बहनें गुरुदेव के श्रीमुख से जिनवाणी सुनने बड़ी श्रद्धा से पधार रहे हैं। बाल-युवा वृद्ध भाई-बहनें, एकाशन, उपवास, आयंबिल, तेला आदि तपस्याओं में सैकड़ों की संख्या में लाभ ले रहे हैं।