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जिसके मन में प्रभु आज्ञा का प्रेम नहीं उसके लिए कोई भी बंधन नहीं है: जयंतसेनसुरीश्वरजी म.सा.के

जिसके मन में प्रभु आज्ञा का प्रेम नहीं उसके लिए कोई भी बंधन नहीं है: जयंतसेनसुरीश्वरजी म.सा.के

🏰☔ *साक्षात्कार वर्षावास* ☔🏰

          *ता :04/8/2023 शुक्रवार*

     🛕 *स्थल: श्री राजेन्द्र भवन चेन्नई*

 🪷 *विश्व वंदनीय प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्र सुरीश्वरजी महाराज साहब के प्रशिष्यरत्न राष्ट्रसंत, संघ एकता शिल्पी प.पू. युगप्रभावक आचार्य श्रीमद् विजय जयंतसेनसुरीश्वरजी म.सा.के कृपापात्र सुशिष्यरत्न श्रुतप्रभावक मुनिप्रवर श्री डॉ. वैभवरत्नविजयजी म.सा.* के प्रवचन के अंश

   🪔 *विषय श्री अभिधान राजेंद्र कोष भाग 7*🪔

~ शासन प्रभावना और शासन रक्षा का सौभाग्य जो स्वयं कि आत्म रक्षा करता है उसके लिए ही संभव है।

~ सद्गुरु मिलना सरल है किंतु सद्गुरु के प्रति समर्पण होना और आज्ञा का पालन बहुमन भाव से होना कठिन है।

~ जो पाप करता है वह इतना पापी नहीं है जितना पापी वह है कि जिनके सिर पर गुरु तत्व नहीं है।

~ जीवन में गुण, सकारात्मकता तभी प्रकट होती है जब साधक स्वयं के स्वभाव के मूलभूत परिवर्तन के लिए पुरुषार्थ करता है।

~ जिसके जीवन में सर्व जीव के लिए स्नेह भाव, सकारात्मकता, समाधान की शक्ति है वह शासन की महान, सर्वश्रेष्ठ सुरक्षा कर ही सकता है।

~ हमारा जीवन पूर्ण होने से पहले शुद्ध दर्शन, ज्ञान, चारित्र की साधना करके ही चेतना का पूर्ण विकास होना ही चाहिए।

~ परम पूज्य प्रभु महावीर स्वामी ने जीवो की दया केवल शरीर, मन, वचन से नहीं किंतु परिणाम से करने का सम्यक बोध दिया।

~प. प. प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्र सूरीश्वरजी महाराजा ने अर्हम् की ध्यान साधना के बल से जालौर नगर के राजा के मन का परिवर्तन किया था और मंदिरों में से शस्त्र, भाला, तलवार निकालकर जैन शासन की श्रेष्ठ सुरक्षा की थी।

~ जिसके मन में प्रभु आज्ञा का प्रेम नहीं उसके लिए कोई भी बंधन नहीं है।

    *”जय जिनेंद्र-जय गुरुदेव”*

🏫 *श्री राजेन्द्रसुरीश्वरजी जैन ट्रस्ट, चेन्नई*🇳🇪

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