कोयम्बत्तूर आर एस पुरम स्थित आराधना भवन में चातुर्मासिक प्रवचन की कड़ी में विमलशिष्य वीरेन्द्र मुनि ने जैन दिवाकर दरबार में धर्म सभा को संबोधित करते हुवे कहा कि जन्म जयंती व पुण्य स्मरण दिन किसका मनाते है, प्रतिदिन हजारों नये जन्म लेते है व मृत्यु को प्राप्त होते है, क्या, उनका मनाते है नहीं, जन्मजयंतीयाँ, या स्मृति दिवस उनका ही मनाते है, जिन्होंने अपने जीवन को देश जाती या धर्म के लिये कुर्बान किया हो। आज हम 3 महापुरुषों की जन्म जयंती मना रहे है और एक महापुरुष की पुण्यतिथि।
( 1 ) श्रमण सूर्य , श्रमण याने साधु ( मुनि ) सूर्य याने ( सूरज ) मुनियों में सूर्य के समान थे मरुधरा के महान संत पूज्य श्री मरुधर केशरी – मरुधर ( मारवाड़) में उनकी आवाज शेर की गर्जना की तरह थी। पूरे देश में आवाज गूंजती थी, पाली में शेषमलजी केशर बाई सोलंकी के घर जन्म लिया था माता का वियोग बचपन में हो गया था। भादरा जून के राजा की माता देवडिजी के गोद मे पले बड़े हुवे। स्वामी श्री बुद्धमलजी म सा के पास सोजत में दीक्षा हुई थी। बड़े-बड़े सम्मेलन कराये सादड़ी अजमेर भिनाशेर व सोजत में मीटिंग सभी साधु-साध्वियों की व्यवस्था वगैरा का ध्यान रखते थे. मरुधरकेशरीजी म.सा.।
( 2)आचार्य श्री शुभचंदजी म. सा.इस युग में इतने सरल इतने भद्रिक महान पुण्यशाली आत्मा मुनि थे, मुनियों में शिरोमणि संत अपने ज्ञान ध्यान मैं मस्त रहने वाले ऐसे संत मिलना दुर्लभ है।
( 3) राष्ट्रीय संत लोकमान्य शेरे राजस्थान वरिष्ठ प्रवर्तक श्री रूप मुनिजी म सा रजत – नाडोल के जमीदार गोस्वामी कुल में जन्मे- जैनेश्वरी दीक्षा लेकर अपने गुरुओं का नाम चमका दिया साथ में शिक्षा गुरु ( मिश्रीमलजी )का नाम भी चमका दिया 9 दिन हुवे देवलोक हुए को जिनकी श्रद्धांजलि सभा सावन सुदी दशम यानी कि जन्मदिन ही श्रद्धांजलि सभा हुई देशभर में।
( 4 ) मेवाड़ भूषण पंडित रत्न श्री प्रतापमल जी म.सा. का जन्म देवगढ़ मदारिया में मोडीरामजी दाखा बाई गांधी के घर में हुआ सात साल की अवस्था में मां का व 9 वर्ष के थे तब पीता का तथा दो भाई बड़ेे प्लेग की बीमारी में चल बसे। उस समय में वादी मानमर्दक पूज्य श्री नंदलालजी म सा व उपाध्याय श्री कस्तूरचंद जी म सा पधारे उनसे बातचीत करने से वैराग्य की प्राप्ति हुई और दीक्षा ली पूज्य श्री नंदलालजी म सा के पास मंदसौर में सावन सुदी पूनम के दिन उदयपुर में सन 1980 में स्वर्गवास हुआ आज के दिन चारों ही महापुरुषों के चरणों में श्रद्धा के कुसुम चढ़ाये ऐसे महापुरुषों के गुणगान करने के लिये हमारे पास जबान नहीं है क्योंकि गुरु के गुणगान करने ब्रह्मा विष्णु महेश साक्षात मां शारदा भी बैठकर गुण लिखे या बोले तो श्री कभी पूर्ण नहीं हो सकते।
👉🏻 किसी कवि ने कहा
इतिहास कांच के टुकड़ों का नहीं , हीरों का बनता है
इतिहास घास के तिनकों का नहीं , तीरों का बनता है
जो जीवन के संग्राम में हिम्मत के हथियार डाल दे
इतिहास कायरों का नहीं , शूरवीरो का बनता है