किलपाॅक में विराजित आचार्य तीर्थ भद्रसूरिश्वर ने कहा आपकी जिन्दगी का मुख्य आधार कल्पना है। उसके अनुसार आपकी विचारधारा बनेगी लेकिन अच्छी कल्पना धर्मकथा सुनने से आती है।
उन्होंने कहा सिद्धर्षि गणि ने अपने ग्रंथ में चार प्रकार की कथा बताई है अर्थ कथा, काम कथा, धर्म कथा और संकीर्ण कथा। अर्थ कथा यानी जिसमें धन, पैसा कमाने की बात की गई हो। इसमें रौद्रध्यान का प्रभाव है इसलिए अधिक नुक्सान का कारण बनती है।
काम कथा यानी जिसमें काम वासना का जिक्र होता हो। ये दोनों चित्त को मलिन करने के तत्व है। इन दोनों में अर्थ कथा ज्यादा घातक है। ये दोनों दुर्गति का कारण बनती है।
उन्होंने कहा दया, करुणा, क्षमा, दान की कथा धर्मकथा है। आपकी जीवन की कल्पना उत्कृष्ट होनी चाहिए। आपकी कल्पना जितनी उत्तम होगी जीवन उतना श्रेष्ठ होगा, यह धर्मकथा श्रवण करने से ही संभव है। उन्होंने कहा संकीर्ण कथा यानी अर्थकथा, कामकथा और धर्मकथा का मिश्रण।
उन्होंने कहा पहले हमारे देश में रामायण, गीता के पाठ ब्रम्हमुहुर्त में होते थे जो भारतीय संस्कृति का हिस्सा थी। हमें सोने से पहले धर्मकथा करके सोना चाहिए जिससे सपने भी अच्छे और शुभ आए। यदि आपको धर्मकथा नहीं आए तो नवकार मंत्र, स्तवन, ध्यान आदि करना चाहिए।
बच्चों को धर्मकथा, शिक्षाप्रद कहानी और अच्छे संस्कार देने का हमारा लक्ष्य होना चाहिए जिससे उनकी आध्यात्मिक शक्ति का विकास हो सके। उन्होंने कहा यह जीवन अच्छा होगा तो परलोक में सद्गति प्राप्त होगी।