किलपाॅक में विराजित आचार्य तीर्थ भद्रसूरिश्वर की निश्रा में मंगलवार सुबह एससी शाह भवन स्थित मुनिसुव्रत स्वामी जिनमंदिर का मंत्रोच्चार व जयकारों के साथ द्वारोद्घाटन हुआ। उसके बाद नूतन वर्ष के पावन प्रसंग पर महामांगलिक व गौतम रास वांचन का आयोजन हुआ। आचार्य ने नव वर्ष के अवसर पर सबके मंगल जीवन की कामना व्यक्त की। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
आचार्य ने कहा जिनशासन को पाकर हम सब धन्य बन गए हैं। आज जिनशासन को नमस्कार कर मंगल प्रभात के समय मांगलिक श्रवण करना है। महापुरुषों ने जो मंगल स्तोत्र बनाए हैं उससे विघ्न, उपद्रव दूर हो जाते हैं। उन्होंने कहा अद्भुत व्यक्तित्व के धनी गौतम स्वामी का नाम ही अपने आप में मंगल है। वे अनंत लब्धि के भण्डार कहलाते हैं।
गौतम स्वामी महावीर भगवान के पहले गणधर थे। वे द्वादसांगी के निर्माता थे। उनका महावीर भगवान के प्रति अगाढ श्रद्धा व प्रेम था जिसके कारण उनका केवल्य ज्ञान अटक गया। वे किसी भी कीमत पर महावीर से दूर नहीं होना चाहते थे। उनके जीवन में समर्पण की अटूट भावना भरी थी।
उन्होंने कहा हमें शून्य का सर्जन करना है, यह बहुत बड़ी साधना है। हमारे अहंकार को हृदय से निकालना है तब ही परमात्मा के स्वरूप को प्राप्त कर पाएंगे।
जब हम मंदिर जाते हैं तो बुद्धि को साथ में लेकर नहीं जाना है अन्यथा परमात्मा के वास्तविक दर्शन नहीं मिलेगा। दीवाली का तात्पर्य है दी यानी जीवन में कोई आपत्ति आने पर दीनता नहीं करना। वा यानी वाद विवाद में नहीं पड़ना, इससे हृदय निर्मल बनेगा। ली यानी सद्कार्य व परमात्मा की भक्ति में लीन रहना है।
भूतकाल में हमारी आत्मा से बहुत गलतियां, अपराध हुए हैं। नए साल में यह पुनरावृत्ति न हो। परिवार में प्रेम, आत्मीयता व परोपकार की भावना बनी रहे। विश्व में सर्वत्र शांति व मंगल हो। हमारा इस लोक के साथ परलोक भी सुधरे। इस मौके पर संघ के अध्यक्ष नरेन्द्र साकरिया ने नूतन वर्ष की शुभकामना व्यक्त की। आचार्य की निश्रा में शुक्रवार को ज्ञानपंचमी के दिन एससी शाह भवन में धार्मिक पाठशाला का शुभारंभ होगा।