चेन्नई. गोपालपुरम स्थित छाजेड़ भवन में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में कपिल मुनि ने देवलोक गमन को प्राप्त श्रमण संघीय वरिष्ठ प्रवर्तक रूपचंद का गुण स्मरण करते हुए बताया कि वे जिनशासन के देदीप्यमान नक्षत्र थे।
उनके जीवन का प्रत्येक क्षण और शरीर का कण कण परमार्थ की सेवा में समर्पित रहा इसी वजह से वे जैन जैनेत्तर लोगों के बीच भगवान तुल्य आदर और प्रतिष्ठा पाते रहे।
स्व कल्याण के साथ साथ पर कल्याण को जीवन का मुख्य ध्येय बनाकर उन्होंने सम्पूर्ण जीवन का मानवता की सेवा में बलिदान कर दिया।
जीव दया के क्षेत्र में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। हजारों मील की पदयात्रा करके उन्होंने जन-जन तक भगवान महावीर के अहिंसा दर्शन को पहुंचा कर अनेक जगह बलि की कुत्सित प्रथा पर रोक लगाई।
मुनि ने उनके जीवन की विशेषताओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।