चेन्नई. किलपॉक के कांकरिया गेस्ट हाउस में आयोजित ‘जिनशासन की पुकार’ क्लास में साध्वीश्री मुदितप्रभा म.सा ने कहा कि हमें ऐसे कार्य करने चाहिए जिससे जिनशासन के इतिहास में मेरा नाम आग लगाने वालों में नहीं बल्कि आग बुझाने वालों में आए।
कभी भी जिनशासन की हीलना, निन्दा हो ऐसा गलत प्रचार नहीं कारना चाहिए। आचार्य हस्ती ने दस वर्ष की उम्र में संयम अंगीकार किया और जिनशासन की सुंदर जाहोजलाली की, जैन इतिहास में ऐसे अनेकों सन्त रत्न महापुरुष हुए जिन्होंने जिनशासन के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया। हम सभी ऐसा संकल्प करें कि शासन मेरा है और मैं शासन का।
जिनशासन मेरा शासन है, मैं अपने आपको जिनशासन के लिए समर्पित करता हूं। मेरे लिए मेरी आवश्यकताएं बाद में पहले जिनशासन की सेवाएं हैं। जीना जिनशासन के लिए, मरना जिनशासन के लिए सब कुछ जिनशासन के लिए।
तन, मन, धन सभी जिनशासन के लिए अर्पण। युवा वर्ग को जिनशासन से जोडं़े। युवा वर्ग में अनन्त शक्ति हैं। दैनिक जीवन मे एक घंटे का समय दान और एक घंटे का समय आगम ज्ञान के लिए निकालें।
बैशाख शुक्ल ग्यारस के दिन जिनशासन की स्थापना हुई। महासतीजी श्री इंदुबालाजी ने प्रवचन व मांगलिक किया। यह सूचना श्री एसएस जैन संघ किलपॉक के अध्यक्ष श्री सुगनचंद बोथरा ने दी।