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जिनवाणी से मन पवित्र होता है,और आत्मा पवित्र बनती है: साध्वी प्रितीसुधा

जिनवाणी से मन पवित्र होता है,और आत्मा पवित्र बनती है: साध्वी प्रितीसुधा

Sagevaani.com @भीलवाड़ा। जिनवाणी को सुनने से मन पवित्र होता है और आत्मा शुध्द बनती है। गुरूवार अहिंसा भवन शास्त्री नगर मे प्रंखर वक्ता डॉ. प्रिती सुधा ने सैकड़ों श्रध्दालूओं को धर्म उपदेश देतें हुए कहा कि जिनवाणी सुनने से मनुष्य की जीवन कि शैली में बदलाव आता है। श्रवण करने से वास्तविक मनुष्य जन्म के जीवन के सार को जानकर अपने विचारों को शुद्ध बनाकर जीवन मे परिवर्तन करके मानव जीवन को मनुष्य सार्थक बना सकता है। जीनवाणी ही वो मार्ग है जिसे मनुष्य भीतर मे उतारले और धर्म के मार्ग पर चले तो शास्वत सुख को प्राप्त कर सकता है। परमात्मा की वाणी को आत्मसात किये बिना कौई भी प्राणी आत्म उत्थान नहीं कर पाएगा। जिनवाणी से व्यक्ति आत्मा के अशुम कर्मो के बंधन छुड़वा सकता है।

साध्वी संयम सुधा ने कहा कि जीनवाणी ही वो मार्ग है जिससे श्रवण करके मनुष्य आत्म कल्याण का मार्ग प्राप्त कर सकता है। अहिंसा भवन के मुख्य मार्गदर्शक अशोक पोखरना ने बताया कि इसदौरान तपस्वी बहन निशा बापना ने नो उपवास के साध्वी उमराव कंवर, साध्वी प्रिती सुधा से प्रत्याख्यान लिए।

तपस्वी निशा बाफना का अहिंसा भवन शास्त्री नगर के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह बाबेल, हेमन्त आंचलिया, रिखबचन्द पीपाड़ा, हिम्मत सिंह बापना, अमरसिंह बाबेल, अमरसिंह संचेती, कूशलसिंह बूलिया, ओमप्रकाश सिसोदिया, संदीप छाजेड़ आदि पदाधिकारियों ओर चंदन बाला महिला मंडल कि मंजू पौखरना, रजनी सिंघवी, मंजू बाफना, अंजना सिसोदिया, उमा आंचलिया, रश्मि लोढ़ा, सरोज महता, आशा संचेती, वंदना लौढ़ा आदि सभी ने तपस्वी बहन को शोलमाला चुंदड़ी ओढ़ा कर तप की अनूमोदना करते हुए स्वागत किया ।

प्रवक्ता सुनिल चपलोत,

अहिंसा भवन शास्त्री नगर, भीलवाड़ा

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