चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने शनिवार को कहा कि परमात्मा की वाणी जब भी सुनने को मिले तो व्यक्ति को अंतरात्मा से उसका श्रवण करना चाहिए। उन्होंने कहा ज्ञानी कहते हैं कि गुरुदेव शासनपति का पत्र सुनाने के लिए आते हैं।
इसे सुनने के लिए बहुत ही सावधानी बरतनी चाहिए, नींद में रहकर जीवन को बेकार नहीं करना चाहिए। शरीर की सुस्ती को दूर कर कथानक को बहुत ही ध्यान से सुनकर जीवन में उतारना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रवचन सुनने के दौरान अगर पास में बैठा मनुष्य भी बात करने की कोशिश करे तो उसे रोक कर ध्यान केंद्रित करें।
जिनवाणी से मिलने वाली प्रेरणा ही जीवन को बदलने में मुख्य भूमिका निभाती है। प्रवचन सुनते सुनते दिल में उत्कृष्ट भाव आने पर मनुष्य जीवन बदल सकता है। बहुत सारे ऐसे महापुरुष हुए जिन्होंने प्रवचन सुन कर अपने जीवन में अहोभाव उत्पन्न किया। इस बात को ध्यान में रखते हुए अपने जीवन को गुरु चरणों में समर्पित कर देना चाहिए।
सागरमुनि ने कहा कि आचरण का जीवन में बहुत ही ज्यादा महत्व होता है। आत्मा के हित के लिए मनुष्य को आचरण करना चाहिए। आचरण के मार्ग पर चल कर जीवन में बदलाव किया जा सकता है। मनुुष्य का अच्छा आचरण ही उसको धर्म की ओर खीचता है। संघ के अध्यक्ष आनंदमल छल्लाणी एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने संचालन किया।