चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा जैसे ही सांस की लड़ी टूटेगी शरीर मिट्टी में मिल जाएगा। शरीर की सुंदरता एक पल में खत्म हो जाएगी। आत्मा शाश्वत है उसकी शुद्धि के बजाय मनुष्य शरीर को सुंदर कर रहा है।
जब तक पुण्य का प्रबल है तब तक धन, शरीर साथ है पर पुण्य का साथ छूटते ही धन साथ छोड़ देगा। जब पाप का उदय होगा तो जीवन मे परेशानियां शुरू होगी। जिनवाणी की लोरी सुनते सुनते जो जागरूक हो जाते है वो योग्य बन कर सही मार्ग पर चलने लगते हैं।
जीवन का उद्धार पुण्य के मार्ग पर जाने से ही होगा। सुखी जीवन चाहिए तो उसकी शुरुआत आज से ही करें। साध्वी समिति ने कहा जब तक मानव को सम्यक्तव की प्राप्ति नहीं होगी जीवन को मोक्ष नहीं मिल सकता है।
नमो नम: स्तुति करने के दौरान सिर्फ भगवान दिखने चाहिए। रोम रोम से प्रभु का नाम निकलना चाहिए। भगवान के प्रति अगर प्रेम जागरूत हो जाये तो उसका असर जन्मों तक रहता है। प्रभु से प्रेम होने के बाद संसार के अन्य वस्तु से प्रेम खत्म हो जाएगा।
वर्तमान में लोग स्तुति करते समय सांसारिक जीवन के बारे में सोचते है। लेकिन जब भी संकट आता है तो मनुष्य में आत्म भक्ति जागती है। पैसों से संबंधित संकट आने पर लोगो मे अर्थ भक्ति जगती है। इसे स्वार्थ का भक्ति कहा जाता है लेकिन मनुष्य को प्रभु के प्रति निस्वार्थ भाव से प्रेम भक्ति दिखानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अपनी भक्ति को भगवान के प्रति प्रदर्शित करने वालों को इसी भव में मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी। अगर विधि के साथ प्रभु की आराधना की जाए तो मानव भव सफल हो जाएगा।