Share This Post

Featured News / ज्ञान वाणी

जिनवाणी श्रवण, चिंतन व अनुशरण से ही जीवन सार्थक: साध्वी कंचनकंवर

जिनवाणी श्रवण, चिंतन व अनुशरण से ही जीवन सार्थक: साध्वी कंचनकंवर

कल महाविदेह क्षेत्र की भावयात्रा होगी

चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम मेमोरियल सेन्टर में विराजित साध्वी कंचनकंवर के सान्निध्य में साध्वी डॉ. सुप्रभा ने कहा भगवान महावीर ने छह दुर्लभ बातें बताई हैं जो हर प्राणी को नहीं मिलती। मनुष्य भव, आर्यक्षेत्र, उत्तमकुल, जिनवाणी श्रवण का लाभ, श्रद्धा और आचरण।

जिसने पूर्वभव में सुकृत्य किया हो उसे ही मनुष्यगति मिलती है, यह 84 लाख जीव योनियों के फेर से बाहर निकलने का एक मार्ग है जिसका सदुपयोग नहीं किया तो पुन: उसी फेर में जाना पड़ता है। मनुष्य के पास बुद्धि है जिसका उपयोग कर वह पंचमगति मोक्ष प्राप्त कर सकता है। आर्यक्षेत्र जहां पर साधु-साध्वियों का विचरण होता है इस भूमि पर जन्म मिलना परम सौभाग्य है।

उत्तमकुल जिनशासन में जन्म मिलना और जिनवाणी को सुनने का अवसर मिलना। जिनवाणी पर श्रद्धा होना भी बहुत दुर्लभ है। जिनवाणी को श्रवण, चिंतन करें और अनुशरण करें तो जीवन की सार्थकता है।

साध्वी हेमप्रभा ने कहा सच्चा श्रावक बनने के लिए क्या-क्या विशेषताएं होनी चाहिए, उन्हें आप जानें तब ही मानेंगे और आचरण में उतार पाएंगे। साधु संतों को 14 प्रकार का दान- असनं, पानं, खैयम, साइमं, आहार, सूतीवस्त्र, ऊनीवस्त्र, रजोहरण पात्र, पाट, बाजोट, मकान, बिछाने के घास आदी के पुठ्ठे, औषधि, भेषज।

ये दान सभी को याद तो हैं लेकिन कई बार श्रावकों के अविवेक के कारण साधु भगवंतों को दोष लगता है। संत समाज श्रावक समाज पर निर्भर होते हैं, उन्हें दी जानेवाली वस्तुओं की जानकारी और उपलब्धता श्रावक के पास होनी चाहिए। श्रावक को अपने धर्म में सुदृढ़ अवश्य होना चाहिए। इसके अतिरिक्त वे वस्तुएं उन्हें दे सकते हैं, जो संतों के ज्ञान, दर्शन, चारित्र में निमित्त बनती हैं। देने में विधिपूर्वक और विनय का भाव होना चाहिए।

सुबाहुकुमार ने सुमुख गाथापति के भव में मुनिराज को आहार-दान शुद्ध व विधिपूर्वक दिया। उसने अपने सुपात्रदान की शुद्धता के कारण अपने संसार को परिमित कर मनुष्य आयुष्य का बंध किया। देवों ने पांच प्रकार की मंगल वर्षा कर प्रशंसा की और आकाशवाणी ने दान की अनुमोदना की जिसे पूरे नगर के लोगों ने सुना और सबने उसके दान की अनुमोदना की।

प्रभु महावीर ने इस प्रकार इंद्रभूति गौतम को सुबाहुकुमार के पूर्वभव के दान का पुण्य बताया जिससे वह इतना ऐश्वर्यशाली और सबका प्रिय बना। चातुर्मास समिति के प्रचार-प्रसार मंत्री हीराचंद पींचा ने बताया कि 27 जुलाई को महाविदेह क्षेत्र की भावयात्रा कराई जाएगी। 28 जुलाई दोपहर 2 बजे से धार्मिक परीक्षा व जैन संस्कार परीक्षा होगी।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar