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जितना तपोगे उतना खिलोगे: साध्वी सुमित्रा

जितना तपोगे उतना खिलोगे: साध्वी सुमित्रा

चेन्नई. कोडमबाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा कि मनुष्य तप के माध्यम से अपनी आत्मा को निखार सकता है। मनुष्य जितना तपेगा उसकी आत्मा में उतना ही निखार आता चला जायेगा।

उन्होंने कहा कि तप के जरिये करोड़ो भवो की बंधी हुई कर्मो की निर्जरा की जा सकती है। महापुरुषों ने कहा है कि इच्छाओ का निरोध करना ही तप है। जो अपनी इच्छाओ का निरोध करते है वे कर्मो की निर्जरा कर लेते है। उन्होंने कहा कि तप करने से आत्मा को कष्ट नही पहुंचता बल्कि सफाई हो जाती है।

तकलीफ तो शरीर को पहुंचती है। शरीर का स्वभाव सुख और आनद में रहने का हो गया है। मनुष्य अनंत भव से शरीर को सुखी करने में लगा है और आत्मा को दुखी कर रहा है।

अब समय आ गया है कि तप कर अपनी आत्मा को शुध्द कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि जब तक मानव तपेगा नही तब तक संसार मे सुखों की प्राप्ति नही होगी।

किसान खेत मे फसल पैदा करने के लिए दिन रात तपता है और अंत मे तपने का फल भी उसे अच्छा ही मिलता है।

अगर बीज डालने के बाद किसान किसी प्रकार की तप ना करे तो उसे अच्छा फसल नही मिलेगा। उसी प्रकार से विद्यार्थी भी अध्यन करने के लिए तपते है और अच्छे नंबर से पास होते है। तपने के लिए सुखों का त्याग करना पड़ता है।

लेकिन सही मायने में जो समय रहते तप लेते है उनका जीवन निखर जाता है। उन्होंने कहा कि कर्म निर्जरा के लिए तपना पड़ता है और तपे बिना आत्मा की शुद्धि संभव नही है।

मानव जितना तपेगा उसके अतना की उतनी ही शुध्दि होती चली जायेगी। जीवन मे आगे जाना है तो शरीर को सुखी करने के बजाय आत्मा को निखारने की कोशिश करें।

संचालन देवीचंद बरलोटा ने की

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