जयधुरंधरमुनि, जयकलशमनी, जयपुरंदर मनी के सानिध्य में चिंतादरीपेट जैन स्थानक में सोलहवे तीर्थंकर शांतिनाथ भगवान का जन्म एवं मोक्ष कल्याणक सामूहिक सामायिक की आराधना के साथ मनाया गया।
इस अवसर पर जयधुरंधरमुनि ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि महापुरुषों के गुणगान करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। जाप करने से ताप और संताप मिट जाते हैं।
अरिहंत भगवंतो की स्तुति से अमिट शांति की प्राप्ति होती है। सुखपूर्वक मुक्ति प्राप्त करने का सरल एवं सहज उपाय गुणीजनों के गुणस्मरण है।
शांतिनाथ भगवान के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए मुनि ने कहा जन्म के साथ ही नगर में फैला हुआ महामारी का रोग समाप्त हो गया। शांतिनाथ ने चक्रवर्ती, तीर्थंकर सहित छः उत्तम पदवियों को प्राप्त किया था। उनका यथा नाम तथा गुण था।
कार्यक्रम के प्रारंभ में आचार्य जयमल द्वारा रचित ‘शांति जाप’ के सामूहिक स्तुति जय कलशमुनि द्वारा करवाई गई। जयपुरंदर मुनि ने कल्याणक महोत्सव को आत्म कल्याण का अवसर बताते हुए कहा कि इनको मनाने से जीव को एक विशिष्ट आनंद की अनुभूति होती है।
मुनिवन्द यहाँ से विहार कर ट्रिप्लीकेन स्थित महावीर भवन पहुंचेंगे जहाँ 1 और 2 जुलाई तक विराजेंगे।