चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा कि जिस प्रकार शिक्षक के दिखाए मार्ग पर चल कर विद्यार्थी पास हो जाता है वैसे ही परमात्मा के दिखाए मार्गो पर चल कर मनुष्य मोक्ष पा लेता है। आंखे तो सभी की खुली होती है लेकिन अज्ञानता में फसे लोगो को दिखाई नहीं देता।
इसलिए सबसे पहले मनुष्य को जाग कर प्रयास करने की जरूरत है। पुण्य की गंगा में मनुष्य जितनी डुबकी लगाएगा उतना सुद्ध होता जाएगा। साध्वी सुविधि ने कहा कि लोग उठ तो जाते हैं पर प्रयास करना छोड़ देते है। लेकिन मार्ग कोई भी हो वहां पहुचने से नहीं बल्कि प्रयास करने से सफलता मिलती है।
मन मे जो समता को धारण करते हैं वो सफल हो जाते हैं। इससे केवल ज्ञान केवल दर्शन प्राप्त होता है। दुखी मन होने के बाद भी मनुष्य संसार के मोह को नही छोड़ रहा है। लेकिन समता भाव आने पर संसार मे रहते हुवे भी खुश रहा जा सकता है। परन्तु अपनी अज्ञानता की वजह से मनुष्य भटक रहा है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में लोग कहीं भी बैठ कर धर्म आराधना करने लगते है। जिससे उनका मन नियंत्रित नही हो पाता है। लेकिन याद रहे शांत स्थान पर जाकर ही धर्म आराधना करनी चाहिए। हर काम हर जगह पर करना संभव नही होता है। ऐसा करने के बाद ही मन की शांति बनी रहेगी।
उन्होंने कहा कि बाहर से नही अंदर आत्मा से जागना है। ऊपर से जागने से कुछ हासिल नही होगा। धर्म ध्यान के समय अंदर से जागने की जरूरत होती है। जो मनुष्य जाग जाएगा उसका कल्याण हो जाएगा। सोते हुवे जीवन को बर्बाद करने के बजाय जग कर आबाद करने का प्रयास करना चाहिए।